– एक सामायिक शासन के नाम : शासन स्थापना दिवस के अवसर पर विश्व में एक समय पर हुए लाखों सामायिकएक सामायिक शासन के नाम : शासन। – स्थापना दिवस के अवसर पर विश्व में एक समय पर हुए लाखों सामायिक
हैदराबाद।अनंतानंत काल से चले आ रहे धर्म शासन को इस काल के प्रथम धर्म स्थापक श्री ऋषभदेव जी से लेकर अंतिम स्थापक श्री महावीर प्रभु तक सभी तीर्थंकरों ने शाश्वत धर्म को पुनः पुनः स्थापित किया है और आगे अनंतानंत चौबीसी तक होने वाले तीर्थंकर भी यही करेंगे। जैन धर्म के चरम तीर्थंकर शासनपति श्रमण भगवान् महावीर स्वामी द्वारा चतुर्विध संघ की स्थापना वैशाख शुक्ल एकादशी को हुआ। जैन समाज इसी दिन भगवान् महावीर स्वामी द्वारा शासन स्थापित स्थापना दिवस मनाते है । प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी जैन एसोसिएशन इंटरनेशनल ने समस्त जैन समाज से शासन स्थापना दिवस पर के पावन दिवस एक सामायिक शासन के नाम अंतर्गत प्रातः 9 बजे से सामूहिक सामायिक करने का आह्वान किया।
जैन एसोसिएशन इंटरनेशनल ( जय ) के संयोजन एवं समस्त जैन समाज के विभिन्न श्री संघ, संस्थाए द्वारा एवं जैन परंपरा के अनेक संप्रदाय के आचार्य, गुरु भगवन्तो के पावन सानिध्य द्वारा प्रेरित पुरे विश्व में जैन धर्मावलम्बी द्वारा लाखों सामायिक किये गए। श्रमण संघीय युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिव मुनि जी महाराज, शासन प्रभावक पूज्य आचार्य श्री हर्षसागरसूरीजी महाराज, आचार्य श्री विमलसागरसूरीजी महाराज की सद प्रेरणा एवं श्री नवकार परिवार, अखिल भारतीय श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ, स्थानकवासी समाज आदि संघ संस्था का द्वारा विशेष आयोजन रहा। पुरे विश्व में कोरोना महामारी के कारण प्रत्येक जैन परिवार घर में रहते हुए अपने परिवार के साथ बैठकर विश्व के लाखो जैनो के साथ सामूहिक सामायिक किये।
सामायिक के पश्चात सम्पूर्ण विश्व में आनंद सुख शांति एवं उत्तम आरोग्य के लिए प्रार्थना किये। देश विदेश में विभिन्न संघ संस्था द्वारा आज दिन भर वेबिनार द्वारा प्रभु की भक्ति, जाप, प्रवचन एवं शासन के प्रति श्रद्धा भक्ति के अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए। जैन एसोसिएशन इंटरनेशनल के चेयरमैन सुनील सांखला जैन ने बताया कि हम अगर शासन की शैली को समझकर जीवन जिए तो ना सिर्फ हमारा घर-परिवार वरन यह समाज, देश, विश्व या कहो सारा ब्रह्माण्ड ही सुखी और संतुष्ट हो सकता है। आज हम हर तरफ देखते है कि पाप अपना विकराल रूप बनाए सारी दुनिया को अपने लपेटे में ले रहा है। सारा विश्व बस एक अंधी दौड़ में लगा हुआ है कि मैं कैसे औरों से अधिक शक्तिशाली बनूँ और सभी मेरी जी-हुजूरी करते रहे या सिर्फ मेरे कहने में रहे। एक तरह से हर कोई अपना अपना शासन स्थापित करने की होड़ में लगा हुआ है। पर हम सब यह भूल जाते है कि हमारे ऐसे छोटे से शासन के ऊपर, सबसे ऊपर, एक और शासन है और वह है धर्म का शासन। जिसे कोई कभी भी अपने हस्तक नहीं कर सकता। जीव मनुष्य भव पाकर, अपने उच्च कर्मों से अगर तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कर, और फिर निकाचित कर, तीर्थंकर के भव में सिर्फ पुनः स्थापित कर सकता है। पर वह भी इसे अपना शासन स्थापित नहीं कहता, पर तीर्थ स्थापना कहता है। उस तीर्थंकर के निर्वाण के पश्चात और अगले तीर्थंकर द्वारा पुनः स्थापित किये जाने तक हम मनुष्य, जो जीवित रहते है वह, उसे कुछ समय तक उन तीर्थंकर के शासन के नाम से जानते है। और जैसे ही नए तीर्थंकर द्वारा पुनः स्थापित किया जाता है हम शासनपति का नाम बदल देते है। वेबिनार के माध्यम से जय के सदस्यों को संबोधित करते हुए सुनील सांखला जैन ने बताया शासन को उज्जवल करने की जिम्मेदारी सिर्फ कुछ गिने-चुने लोगों कि नहीं परन्तु हम सभी धर्मप्रेमी साधर्मिक बंधुओं की सामूहिक जिम्मेदारी है, हिस्सेदारी है एवं जैन एसोसिएशन इंटरनेशनल परिवार की और से कोरोना महामारी के कारण विश्व में हुए हुए लाखों दिवंगत के प्रति श्रद्धा के सुमन अर्पित किये और प्रभु से प्रार्थना की उन सबकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करे और सभी जीवों से क्षमा याचना करते हुए प्रभु से प्रार्थना की विश्व को इस महामारी से मुक्त करे और पुन: शांति स्थापित करे । आपने जैन आचार्य, युवाचार्य, उपाध्याय, सभी गुरु भगवंत, समस्त जैन समाज, देश विदेश विभिन्न श्री संघ, संघटन, मंडल, संस्था, मीडिया एवं सभी जैन श्रावक श्राविका के प्रति आभार व्यक्त किया। रिकार्डेड वीडियो के माध्यम से श्रमण संघीय युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिव मुनि जी महाराज ने मांगलिक प्रदान कर आशीर्वाद दिए।