-नोएडा (खबर अपडेट ) ।प्रशासन में लापरवाही, अनदेखी, पक्षपात, लालफीताशाही आम बात है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम। नेता भी अपने प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्र में मनमानी चलाते हैं। इसको लेकर आए दिन विरोध के स्वर उभरते हैं। सरकारें भी पक्षपात करती हैं। चाहे मोदी की सरकार हो या गहलोत की अथवा अन्य किसी की। ऐसा करना लोकतंत्र की बड़ी विसंगति है और सत्ता की प्रकृति भी। इस पर नियंत्रण ही सुशासन है। जो नेता जितना सक्षम होता है वो उतना ही इस विसंगतियों पर नियंत्रण रख पाता है।। राजस्थान में हर जिले में प्रभारी मंत्री नियुक्त करके गहलोत सरकार सुशासन देने के प्रयास में है। इससे प्रशासन पर ही सरकार कि निगरानी नहीं होती, बल्कि क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि पर भी राजनीति पूर्वाग्रह, भाई भतीजावाद ओर मनमानी पर अंकुश लगता है ।

इसका प्रमाण भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष औऱ केबिनेट मंत्री गाविंद सिंह डोटासरा ने जिले के प्रभारी मंत्री के रूप में दिया है। उन्होंने संकेत दिया है कि सुशासन के प्रतिमानों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं होगी । कितना कर पाएंगे यह तो समय ही बताएगा। पर मंशा औऱ सोच सुशासन की है। गहलोत सरकार का यह प्रयास लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है। केवल गहलोत ही नहीं मोदी सरकार में सांसदों को अनुचित सिफारिश करना, सरकार के कार्यो में अनुचित हस्तक्षेप पर अंकुश है। ऐसा करने की कोशिश करने वाले सांसदों औऱ नेताओं को परिणाम भी भुगतान पड़ा है। जनता की सुनी जाए। व्यवस्था में अनुचित हस्तक्षेप बन्द हो जाए। प्रशासन राजनीतिक मंशा को पूरा करने नहीं बल्कि जनता के हितों के लिए काम करें तो सुशासन महसूस हो सकेगा। ऐसा हो सकेगा तो ही लोकतंत्र की भलाई है…।