अपनी कहानियों में आज तक जिंदा है मेवाड़ के अनमोल रतन आलम शाह खान-आफरीदी

जयपुर,( ओम एक्सप्रेस )। मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी, साहित्यकार एवं व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने कहा है कि डॉ आलम शाह खान मेवाड़ की अजीम शख्सियत थे। डॉ आलम शाह खान मेवाड़ की धरती पर जन्मे ऐसे अनमोल रतन हैं जो अपनी यथार्थवादी कहानियों के कारण आज तक जिंदा हैं। जैसे चंद्रधर गुलेरी को ‘उसने कहा था‘ के लिए आज भी याद किया जाता है और प्रेमचंद को गबन, सेवा-सदन, रंगभूमि, गोदान, कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर के लिए याद किया जाता है, उसी तरह डॉ.आलम शाह खान को परायी प्यास का सफर, किराए की कोख, एक और सीता जैसी कई अन्य रचनाओं के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।
आफरीदी प्रोफेसर आलम शाह खान की 19वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उदयपुर के श्रमजीवी कॉलेज में ‘साठोत्तरी हिंदी कहानी में हाशिये के लोग’ विषय पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रतिष्ठित कवि एवं अतिरिक्त महानिदेशक दूरदर्शन श्री कृष्ण कल्पित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर, कवि एवं आलोचक श्री सत्यनारायण व्यास ने की। इस अवसर पर डाॅ. तराना परवीन का कहानी संग्रह ‘‘एक सौ आठ‘‘ का विमोचन भी किया गया।
आफरीदी ने कहा कि खान ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य का कोश न केवल समृद्ध किया बल्कि साहित्य की नई पीढियों के लिए भी पायदान बनाए जिन पर आरोहण कर नवोदित साहित्यकार उच्च कोटि का कथा साहित्य रचने में सक्षम हो सकते हैं। डॉ. आलम शाह का कथा कौशल ही था कि किराए की कोख कहानी पर फिल्म बनी और पराई प्यास का सफर कहानी पर टेलीफिल्म का निर्माण हुआ। यह अपने समय की ऐतिहासिक रचनाएं हैं, जिनकी हिंदी कथा साहित्य में काफी लंबे समय तक चर्चा होती रही और शाह को इनसे प्रसिद्धि मिली। डॉ. खान अपनी कथाओं से राष्ट्रीय फलक पर विशेष पहचान रखते थे। सारिका जैसी बड़ी कथा पत्रिका के वे प्रिय और सम्मानीय लेखक थे।
उन्होंने कहा कि डॉ आलम शाह की कहानियों में आम आदमी, पिछड़ा, दबा हुआ, वंचित और जिजीविषा के लिए संघर्ष करने वाला इंसान हमेशा केंद्र में रहा। श्रमिकों, उपेक्षित महिलाओं और उपेक्षित बच्चों को समाज में आज भी उनका हक नहीं मिलता। डॉ. खान उनके सशक्त पैरोकार बने। इसलिए वे उन्हें मानवाधिकारों का हितैषी, उनका अधिवक्ता और उनका तारणहार रचनाकार मानते हैं।
आलम शाह खान यादगार समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कल्पित ने कहा कि साहित्य का दायरा बहुत लंबा होता है, यह सीमित कालावधि में नहीं लिखा जा सकता, इसके लिए लंबी तपस्या करनी होती है। उन्होंने कहा कि आलमशाह खान को अपनी रचनाशीलता की वजह से लोकप्रियता प्राप्त थी। इस दौरान उन्होंने उपेक्षित लेखकों की परंपरा, साहित्यिक परंपरा और सिनेमा नाटक के जरिये साहित्य को दुनिया के समक्ष लाने के तथ्यों को उद्घाटित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर, कवि एवं आलोचक सत्यनारायण व्यास ने आलमशाह खान के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेवाड़ का नाम विश्व में प्रसिद्ध है। यह वीरता, स्वाभिमान और गौरव की भूमि है। यह सब आलम शाह की कहानियों में भी परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि समर्थ रचनाकार की समर्थ पुत्री तराना की पुस्तक का विमोचन करके प्रसन्नता हो रही है जो अपने कथाकार पिता के तीखे तेवर लिए हुए हैं।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने साहित्यकार डॉ. तराना परवीन के कहानी संग्रह ‘एक सौ आठ’ का विमोचन भी किया। डॉ. परवीन ने अपने कहानी संग्रह की विषयवस्तु के बारे में जानकारी दी। अतिथियों ने डॉ. परवीन को उनके कहानी संग्रह के सफल प्रकाशन की बधाई भी दी और इसे इस अंचल के नवोदित साहित्यकारों के लिए प्रेरक बताया।
उर्दू साहित्य की विद्वान लेखिका डॉ. सरवत खान ने पुस्तक के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी की।  कार्यक्रम का संचालन उग्रसेन राव ने किया। इस मौके पर समिति अध्यक्ष आबिद अदीब, कलमकार मंच के राष्ट्रीय संयोजक निशान्त मिश्रा, प्रसिद्ध कवि सदा शिव श्रोत्रिय, डाॅ. मलय पानेरी, डाॅ. नीलम कावड़िया, डाॅ. रेणू व्यास ने भी विचार व्यक्त किए।