जोधपुर।जोधपुर में जैन साध्वी के अपहरण की कहानी झूठी निकली है। बुधवार रात ही साध्वी को सीकर के फतेहपुर से बरामद कर लिया गया था। साध्वी ने पुलिस के सामने खुलासा किया कि उसका अपहरण नहीं किया गया है। वह मर्जी से ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों के साथ जा रही थी। साध्वी लंबे समय से ब्रह्मकुमारी के संपर्क में थीं। वहां के काम और रहन-सहन को लेकर वह वाकिफ हैं।
हालांकि चर्चा यह भी है कि साध्वी ने अपने निकट के कुछ लोगों से जैन महामंदिर को छोड़ने की इच्छा पहले ही जता दी थी। इसका कारण वहां के कठिन नियमों को बताया था। साध्वी ने कहा बताते हैं कि जैन समाज में कठिन नियमों का पालन करना दिनों-दिन मुश्किल होता जा रहा था। इसलिए वह ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ना चाहती हैं।
बता दें कि जोधपुर के महामंदिर, प्रथम पोल जैन स्थानक से बुधवार दोपहर जैन साध्वी 21 वर्षीय अनुया के अपहरण की सूचना आई थी। कहा गया कि कार में आए दो पुरुष और दो महिलाओं ने मिलकर इस जैन साध्वी का अपहरण किया। घटना की जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया। पुलिस ने पूरे प्रदेश में नाकाबंदी कराई गई। रात को कार सीकर के फतेहपुर में पकड़ी गई। इसमें जैन साध्वी के अलावा 4 अन्य लोग थे। चारों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। सभी को गुरुवार सुबह जोधपुर लाया गया।
महामंदिर थानाधिकारी लेखराज सिहाग के अनुसार 21 वर्षीय साध्वी अनुया ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा, वह स्वेच्छा से चारों के साथ गई थीं। मेरे ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं था। ये चारों लोग (दो महिलाएं व दो पुरुष) ब्रह्मकुमारी से जुड़े हैं। साध्वी ने इन लोगों के साथ ही जाने की इच्छा जताई है। फिलहाल साध्वी सहित पांचों लोग महामंदिर पुलिस थाने में हैं। इनके बयान लिए जा रहे हैं। साध्वी अनुया के बचपन में ही माता-पिता गुजर गए थे। फिर 13 साल की उम्र में साध्वी बन गई थी।
साध्वी के मामले को लेकर जैन समाज के लोगों का कहना है कि यदि साध्वी समय रहते बता देती कि उसे ब्रह्मकुमारी के साथ रहना है तो हम उसे ससम्मान विदा कर देते। इस तरह चुपके से गायब होने पर संशय पैदा हो गया। समाज के लोग अब साध्वी के बारे में मिलकर फैसला करेंगे।
इसबीच, सूत्रों का कहना है कि यह साध्वी लंबे अरसे से ब्रह्मकुमारी के संपर्क में थी। उनके कार्य और रहन-सहन के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जैन साध्वी आखिरकार ब्रह्मकुमारी संस्थान के लोगों के संपर्क में कैसे आई।