भारतीय कोरोना और गलवान घाटी में घटी घटना के बाद चीन और उसके उत्पादों पर अपनी नाराजी और बहिष्कार की बातें लिख कर एक माहौल बना रहे हैं,ये सब पिछले दो साल से संसद के भीतर से बाहर तक हो रहा है । खास तौर से चीनी मोबाइल कंपनियों के हैंडसेट और एप्स को लेकर सोशल मीडिया पर बाकायदा एक अभियान चल रहा है। लेकिन नतीजा शून्य है । इसी में से यह गंभीर बात उभर कर सामने आई है सरकार को संदेह है कि ओपो, वीवो, शाओमी और जियोनी के अलावा एपल, सैमसंग और भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स के स्मार्टफोन्स के जरिए चीनी खुफिया एजेंसियां भारतीय ग्राहकों की पर्सनल जानकारियां चुरा रही हैं। सरकार ने ओपो, वीवो, शाओमी और जियोनी जैसी चाइनीज कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । सरकार की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने इन सभी कंपनियों को से जवाब माँगा था ।कुछ के गोलमाल जवाब भी आये है ।इस बात का सुबहा है कि ये स्मार्टफोन हमारे देश की जासूसी करने में मददगार तो साबित नहीं हो रहे हैं? देश को इस मामले की जाँच और उपकरण बनाने आत्मनिर्भरता की प्राथमिकता के साथ जरूरत है ।
सब को मालूम है देश की सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार को एक सूची कुछ दिन पहले भेजी है , जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप जूम, टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, एक्सएंडर, शेयरइट और क्लीन मास्टर आदि को देश की सूचनाओं और सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया गया था । देश का इंटेलिजेंस ब्यूरो इससे पहले भी दो बरस पहले ऐसी आशंकाएं जाहिर कर चुका है कि चीन के ४० से ज्यादा एप्लिकेशन हमारे स्मार्टफोनों को हैक कर सकते हैं।
अगस्त, २०१८ में भी केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन बनाने वाली चीन समेत कई अन्य देशों की २१ कंपनियों को इस बारे में नोटिस जारी किया था। संदेह है कि ओपो, वीवो, शाओमी और जियोनी के अलावा एपल, सैमसंग और भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स के स्मार्टफोन्स के जरिए चीनी खुफिया एजेंसियां भारतीय ग्राहकों की पर्सनल जानकारियां चुराती रही हैं। सरकार ने ओपो, वीवो, शाओमी और जियोनी जैसी चाइनीज कंपनियों से तब भी जवाब माँगा था। सरकार ने आगे क्या कुछ किया किसी को कुछ नहीं पता।
अब फिर चीनी एप्लिकेशंस और स्मार्टफोनों को जासूसी के लिए संदेह के घेरे में आने के बाद बड़ा सवाल यह है कि सरकार जानती है ये सब गलत ही नहीं, जाने- अनजाने में देश के लिए खतरा है तो फिर निर्णय में कोताही क्यों? क्या यह चीन से कभी डोकलाम, तो कभी गलवान घाटी में सीमा को लेकर हुए विवाद का यह एक प्रतिरोध मात्र है ?
आज दो ही विकल्प हैं—एक, या तो चीनी एप निर्माताओं और फेसबुक, गूगल से लेकर हर प्रमुख इंटरनेट कंपनी से कहा जाए कि वह भारत में ही अपना सर्वर स्थापित करे, चीन ने अपने देश में ऐसा ही किया है। दूसरा रास्ता है कि देश में टिकटॉक, शेयरइट आदि चीनी एप्स और फेसबुक-गूगल आदि उपयोगी चीजों के विकल्प पैदा किए जाएं। चीन सहित कुछ देशों ने इन के विकल्प बनाकर विदेशी ऑनलाइन दासता व जासूसी की आशंकाओं को धता बताया है। हमारे देश में भी गूगल, व्हाट्सएप, वीचैट और फेसबुक-इंस्टाग्राम के देसी विकल्प प्राथमिकता से पैदा किए जाएं।