बीकानेर। सरस्वती काव्य एवं कला संस्थान एवं स्वामी रांकावत युवा मंच, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को राजस्थानी के मूर्घन्य साहित्यकार स्व. देवदास राकांवत की पांचवीं पुण्यतिथि राजमाता सुदर्शना कुमारी कला दिर्घा जुबली नागरी भंडार में मनाई गई।

मुख्य वक्ता वयोवृद्ध साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि देवदास जी के साहित्य को आत्मसात करने वाला ही सच्चा साहित्यकार है। स्व. रांकावत जी के उपन्यास भाषा एवं संस्कृति के रूप में सदैव याद रखे जाएंगे। अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव जानकी नारायण श्रीमाली ने कहा कि देवदास जी सच्चे और निर्भिक साहित्यकार रहे थे। वे अपनी बात को काव्य के माध्यम से कहने में कोई गुरेज नहीं रखते थे।

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संस्था अध्यक्ष अरविन्द ऊभा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के कार्यक्रम में स्व. देवदास जी रांकावत द्वारा रचित उपन्यास, कहानी संग्रह एवं गीत व कविता पर पाठकीय टिप्पणी साहित्य, भाषा एवं संस्कृति पर आधारित रहेगी। कवि गीतकार राजेन्द्र स्वर्णकार ने सरस्वती वंदना की तथा देवदास जी का ‘हूं धुखती धूणी री लकडी’, चर्चित गीत गाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में स्वर्गीय देवदास रांकावत की लेखन सामग्री में सर्वप्रथम 1989 बातपोशी का उपन्यास ‘जोरावर पद्मा’ डॉ. कृष्णा आचार्य ने  ‘धोरां-धोरां-पाळा-पाळा’ गीत-कविता संग्रह पर श्रीमती ओम कुमारी स्वामी ने , पीड़ रो पतियारों पर किशन पुरोहित ने, मुळकती मौत-कळपति काया– पर डॉ.रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने, धरती रो सुरग’ उप न्यास पर नदीम अहमद नदीम ने , होम करता हाथ बळे’ उपन्यास पर प्रमोद कुमार शर्मा ने, झांसो’ उपन्यास पर श्रीमती मोनिका गौड़ ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ.नमामी शंकर आचार्य ने किया। स्वामी रांकावत युवा मंच के अध्यक्ष अरविंद ऊभा ने धन्यावाद ज्ञापित किया।

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कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ.नीरज दईया, कमल रंगा, ईसरार हसन कादरी, योगेश व्यास ÓÓ राजस्थानीÓ राजस्थान प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी श्याम सुन्दर रांकावत, नंद किशोर रांकावत, रामेश्वर स्वामी, कासिम बीकानेरी, ओम प्रकाश स्वामी, अशोक पडि़हार, विनय कुमार पांडे, विवेक व्यास राजस्थानी व शिव शंकर व्यास आदि ने स्वर्गीय देवदास रांकावत के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि दी।