बीकानेर। साहित्य लेखक का मन, चित्त वृतियों के संवेदना के स्तर पर एकाकार होने से शब्द के माध्यम से प्रकट होता है। कोई साहित्यकार बाहरी जगत को जितना जीता उतना ही उसके भीतर प्रकाश होता है। प्रकृति, स्थूल जगत और आध्यात्मिक चेतना के प्रति संवेदना की अनुभूति शब्दों से प्रकट होती। लेखक का समर्पण प्रेम को आख्यित करता है। यह बात समर्पण कार्यक्रम में वैद्य विद्या सागर पंचारिया की 11 पुस्तकें के लोकार्पण समारोह में वक्ताओं ने कही। सवित स्वामी विमर्शानंद ने कहा कि साहित्यकारों के समक्ष समाज की विसंगतियां चुनौती है। बीकानेर में साढ़े सात हजार तलाक, युवा पीढ़ी में नशा, बच्चों में फोन की लत को समझने की जरूरत है। डा. उमा कांत गुप्त ने वैद्य विद्या सागर की 11 पुस्तकों की तुलना 11 रुद्रों से की। उन्होंने लेखक की रचनाधर्मिता की सराहना की। साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि लेखक यथार्थ वादी है। लेखकीय सृजन में लक्षणा, व्यंजना और उपमा को जगह नहीं है। लेखक ने विरह में प्रेम की अभिव्यक्ति की है। व्यंग्यकार बुलकी शर्मा ने लेखक की विभिन्न विधाओं पर अपनी शैली से समीक्षा की। साहित्यकार चंचला पाठक, मोनिका गौड़ ने रचनाकार परिभाषित किया। जिसमें साहित्य की विधा कविता, कहानियां, उपन्यास , निबंध को तय पैटर्न से इतर बताया। टी एम ऑडिटोरियम में आयोजित साहित्य समर्पण में वैविध्य पूर्ण साहित्य विधा की अभिव्यक्ति की सराहना की गई। लेखक के पिता डा. हरदेव पंचारिया की काव्यकृति समर्पण और उपन्यास नर बाधा का भी उल्लेख किया गया। लेखक वैद्य विद्या सागर पंचारिया ने भी लेखकीय वक्तव्य दिया। कवि अपनी काव्य रचनाधर्मिता को अपने मन स्थितियों के विभिन्न रंगों के रूप में मानते हैं। 11 पुस्तकों पर समीक्षत्मक विवरण के साथ पत्र वाचन सुमित शर्मा ने किया। समर्पण कार्यक्रम संवित स्वामी विमर्शानंद जी, साहित्यकार श्री मालचंद तिवारी, डा. उमा कांत गुप्त , व्यंग्यकार श्री बुलाकी शर्मा, चंचला पाठक, मोनिका गौड़ का सम्मान किया गया। होंगी। इस मौके पर लेखक को भी सम्मानित किया गया।