जयपुर।राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के वफादार लगभग 90 विधायकों के कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने और स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। तीन बार के सीएम अशोक गहलोत के समर्थकों के इस कदम से आलाकमान बेहद नाराज है हालांकि, गहलोत गुट के विधायकों को अभी भी यकीन है कि बाजी उनके हाथों में है।

_मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान गहलोत खेमे के कुछ विधायकों को नोटिस भेजने की तैयारी में है। उधर, कांग्रेस व्हीप चीफ और कैबिनेट मंत्री महेश जोशी ने कहा, “अगर हमसे कांग्रेस आलाकमान द्वारा लिखित या मौखिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा जाता है, या हमें कोई नोटिस भेजा जाता है तो हम अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे। हमें लगता है कि हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जो अनुशासनहीनता के दायरे में आता हो और इससे पार्टी और आलाकमान के प्रति हमारे समर्पण पर कोई संदेह नहीं हो सकता है। जोशी ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस विधायकों ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को यह बताया कि 2020 में बगावत करने वालों में से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बने। दूसरी तरफ, सचिन पायलट खेमे ने राजस्थान के सियासी ड्रामे पर चुप्पी साधे रखी है। इस गुट को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री पायलट को ही बनाया जाएगा। उनके करीबी विधायक सार्वजनिक रूप से कोई बयानबाजी करने से बचते नजर आए हैं क्योंकि इससे उनकी संभावना खतरे में पड़ सकती है।

_इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या पर पायलट गुट ने उठाए सवाल

_पायलट कैंप के सूत्रों ने इस दावे पर भी सवाल उठाया कि 90 से अधिक विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कहना है, “एक बस में कितने विधायक आ सकते हैं? केवल एक बस थी जिसमें बैठकर विधायक सीपी जोशी को इस्तीफा देने गए थे और कुछ अन्य अपने-अपने वाहनों में थे। यह आंकड़ा 72-92 के बीच है, लेकिन क्या अब तक किसी ने लिस्ट दिखाई है? 92 विधायकों का आंकड़ा हवाबाजी का है। करीब 30-35 विधायक सीएम आवास पर थे, और कई विधायकों (धारीवाल निवास पर) ने इस्तीफे पर हस्ताक्षर नहीं किए। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने रविवार को अपने आवास पर गहलोत गुट के कांग्रेस विधायकों की मेजबानी की थी। उन्होंने पहली बार पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि विधायकों का इस्तीफा नाराजगी और गुस्से का नतीजा था।