(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का फैसला)

जयपुर,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण ने कोटा के “सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल “ के मामले में सुनवाई करते हुए प्रबन्ध समिति को आदेशित कर कहा की सीबीएसई मान्यता प्राप्त संस्था कर्मचारी भी ग्रेच्युटी और उस पर 6% ब्याज की दर से प्राप्त करने के अधिकारी है
उल्लेखनीय है कि प्रबंध समिति सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल माला रोड कोटा में वरिष्ठ अध्यापक के पद से त्यागपत्र दिए हुए कर्मचारी जयराज सिंह के पक्ष में फैसला देते हुए अधिकरण ने ग्रेच्युटी प्राप्त करने तथा उस पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी माना। उक्त कर्मचारी ने अपने अधिवक्ता डीपी शर्मा के माध्यम से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर अदालत में निवेदन किया कि उसकी नियुक्ति 5 जुलाई 1976 को हुई थी तथा 1 जुलाई 2005 को त्यागपत्र दिया परंतु उक्त संस्था ने ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया उससे व्यथीत हो कर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है। प्रार्थी को ग्रेच्युटी राशी का भुगतान ब्याज सहित किया जाना चाहिए था परंतु संस्था ने भुगतान नहीं किया। विपक्षी संस्थान की ओर से तर्क दिया गया कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त संस्था ग्रेच्युटी भुगतान के लिए उत्तरदाई नहीं है क्योंकि सीबीएसई bye-laws को मानना संस्था के लिए बाध्यकारी नहीं है, यह संस्था और सीबीएसई के मध्य का मामला है तीसरा पक्ष इसका फायदा नहीं उठा सकता। इसके जवाब में प्रार्थी ने तर्क दिया कि संस्था मान्यता लेते समय इस बात की अंडरटेकिंग देती है कि कर्मचारियों को ग्रेच्युटी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी ऐसी स्थिति में “ एस्टोपल सिद्धांत “ के आधार पर ग्रेच्युटी देने के लिए बाध्य हैं, साथ ही अधिकरण को सेवा संबंधी मामले सुनने का अधिकार है तथा ”पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट” की परिभाषा में संशोधन करने के पश्चात अध्यापक भी कर्मचारी की परिभाषा में आते हैं ऐसी स्थिति में “ पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट” के अनुसार ग्रेच्युटी की भुगतान का भी उत्तरदायित्व है विपक्षी संस्थान ने तर्क दिया कि कर्मचारी की परिभाषा में अध्यापक नहीं आते तथा इस अधिकरण को पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट के अनुसार मामले की सुनवाई करने का अधिकार नहीं है इसके विपरीत प्रार्थी के तरफ से तर्क दिया गया कि क्योंकि ग्रेच्युटी सेवा शर्तों में आती है ऐसी स्थिति में अधिकरण को धारा 21 के तहत मामले की सुनवाई का अधिकार है मामले की सुनवाई के पश्चात अधिकरण ने ग्रेच्युटी का भुगतान का आदेश के साथ यह भी निर्देश दिया कि 6% की दर से ब्याज का भी भुगतान करें।