नई दिल्ली। 19 जुलाई को रिटायर होने जा रही सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जस्टिस आर. भानुमति ने शुक्रवार को कहा कि वे और उनका परिवार जटिल कानूनी प्रक्रियाओं और देरी का शिकार रहा है। उन्हें बस दुर्घटना में मरे पिता का मुआवजा मिलने में काफी परेशानी हुई थी।
शुक्रवार को आखिरी बार अदालत की कार्यवाही का संचालन करने वाली महिला जज ने अपने विदाई संबोधन में कहा कि उनके तीन दशक के करियर में अधीनस्थ अदालत से शीर्ष कोर्ट तक पहुंचना काफी कठिनाई भरा रहा।
उन्होंने बताया कि मैं और मेरा परिवार भी जटिल कानूनी प्रक्रियाओं और उनमें देरी के पीड़ित रहे हैं। इस लेटलतीफी की वजह से एक बस दुर्घटना में मेरी पिता की मृत्यु के बाद मुझे मुआवजा नहीं मिल सका था। मैंने अपने पिता को एक बस हादसे में खो दिया था। जब मैं दो साल की थी। उन दिनों हमें मुआवजे के लिए मुकदमा दर्ज करना होता था। मेरी मां ने मुकदमा दाखिल किया और अदालत ने आदेश जारी किया लेकिन, हमें जटिल प्रक्रियाओं और मदद की कमी की वजह से पैसा नहीं मिल सका।
बता दें कि जस्टिस भानुमति की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में अब दो महिला जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी रह गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में इससे पहले कभी तीन महिला जज एक साथ नहीं रहीं।