जयपुर,( दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। झुंझुनू जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी चिड़ावा ,तहसीलदार और पटवारियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की परवाह न करते हुए 70 बीघा जमीन से अतिक्रमण हटाने में नाकामयाब रहे।

उल्लेखनीय है कि झुंझुनू जिले के चिड़ावा तहसील के अजीतपुरा और नूनिया गोठड़ा ग्राम की करीब 70 बीघा जन उपयोगी भूमि पर भू- माफिया ,राजनेता और राजस्व विभाग के आल्हा कर्मचारी जनउपयोगी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के बजाय स्वयं ही अतिक्रमण बढ़ा कर अपने रिहायशी मकान बनाकर बेखौफ रह रहे हैं। राजस्व रिकॉर्ड में उन सब राजस्व कर्मचारियों के नाम भी पटवारी की रिपोर्ट में दर्ज है ,जो सार्वजनिक जनउपयोगी जमीन है उस पर पक्के निर्माण कर लिया है ।

उसे उपयोग में ले रहे हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में जगमाल सिंह बनाम पंजाब सरकार के मामले में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आदेशित कर पैरा 22 और 23 में स्पष्ट रूप से कहा की ग्राम पंचायत और ग्राम सभा की जनउपयोगी सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को चिन्हित कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें । जबकि ग्रामों में राजस्व अधिकारी ही इन जमीनों पर अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम अधिकारी हैं लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते और भू माफियाओं के साथ गठजोड़ के चलते मुख्य सचिव और संभागीय आयुक्त के स्पष्ट आदेश के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है जबकि देश की सर्वोच्च न्यायालय का आदेश पूरे भारत में हर नागरिक पर सक्षम अधिकारी और सरकारों पर बाध्यकारी है ।पीड़ित पक्ष कारो ने राज्य सरकार के सूचना संपर्क पोर्टल पर भी 3794 दिनांक 19 फरवरी 2021 को संपूर्ण दस्तावेजों सहित पटवारी की रिपोर्ट भी संलग्न की है जिसमें अतिक्रमण लोगों के नामजद पक्का निर्माण दर्शित किया हुआ है। जिसमें ज्यादातर तो निर्माण राजस्व कर्मचारियों ने ही अतिक्रमण किया है स्थानीय प्रशासन भी अकथनीय कारणों से मुख्य सचिव के आदेशों के बावजूद भी अतिक्रमण हटाने में आज भी विफल है।