-कहा- विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार
जयपुर।राजस्थान में जारी राजनीतिक लड़ाई अब हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. आज विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि किसी विधायक को नोटिस देने या उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को होता है. जबतक मैं कोई निर्णय नहीं लेता, अदालत मामले में दखल नहीं दे सकता है. ऐसे में हाईकोर्ट के निर्णय को लेकर वो सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करेंगे. सीपी जोशी ने कहा कि अभी सिर्फ विधायकों को नोटिस दिया गया है, कोई फैसला नहीं लिया गया है।
– किसी को भी कोर्ट में दखल देने का अधिकार नहीं
उन्होंने कहा कि मैं स्पीकर बना तब पूरी कोशिश रही की विधानसभा की गरिमा बनी रहे. मैंने हमेशा इसका अब तक ठीक ढंग से निर्वहन किया है. किसी को भी कोर्ट में दखल देने का अधिकार नहीं है. मैंने कोर्ट के निर्णय का सम्मान किया है।
-SLP संवैधानिक अथॉरिटी के तहत लगाई:
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ये आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट में फैसला लिया जाए. SLP संवैधानिक अथॉरिटी के तहत लगाई है. स्पीकर की गरिमा व्यक्तिगत नहीं है, मैंने विधानसभा अध्यक्षों की सेमीनार में भी ये मुद्दा उठाया है. सुप्रीम कोर्ट हमारी बात सुनेंगे और हम निर्णय को स्वीकार करेंगे. मेरा काम स्पीकर के रोल पर बात करना है. इसी के तहत शो कॉज नोटिस दिया गया है. जो भी इस पद की गरिमा बनी रहे उसके लिए उचित कदम उठाऊंगा. बसपा विधायकों के मामले में कोर्ट में जाएंगे तो हम अपनी बात रखेंगे. अजीब स्थिति बन जाये शो कॉज नोटिस का जवाब नहीं देंगे. ये ठीक नहीं है, मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं।
– चुने हुए प्रतिनिधि अलग-अलग भूमिका का निर्वहन करते हैं
प्रेस वार्ता के प्रारंभ में विधासभा अध्यक्ष ने कहा कि मैं एक ऐसे विषय पर देश और प्रदेश का ध्यान आकर्षित कर रहा हूं जो संसदीय लोकतंत्र में सबकी भूमिका तय करता है. चुने हुए प्रतिनिधि अलग-अलग भूमिका का निर्वहन करते हैं. उन्होंने कहा कि आयाराम-गयाराम के कारण संविधान में संशोधन हुआ है. 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने आज तक ये निर्णय नहीं बदला है. लोकसभा और विधानसभा कानून बनती है और न्यायपालिका उसे लागू करती है. दल बदल कानून के तहत स्पीकर का फैसला चुनौती पूर्ण नहीं है, हालांकि रिव्यू हो सकता है।
-नोटिस देना स्पीकर का काम
विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी ने कहा कि नोटिस देना स्पीकर का काम है, शो कॉज नोटिस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. दुर्भाग्य से न्यायपालिका में चले गए ये प्रयास संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरा है. उन्होंने कहा कि विभानसभा अध्यक्ष पद की गरिमा बनाए रखने के लिए मैं आज भी प्रतिबद्ध हूं।