10 जून 2021 गुरुवार का दिन खास है क्योंकि इस दिन वट सावित्री का व्रत, शनि जयंती एवं सूर्य ग्रहण तीनों महत्वपूर्ण घटनाएं हो रही हैं। अमावस्या के दिन सूर्य राहु या केतु के साथ होता है तो सूर्य ग्रहण होता है। 10 जून के बाद जो सूर्य ग्रहण पड़ेगा वह 4 दिसंबर 2021 को होगा। किसी भी ग्रहण का प्रभाव छह महीने तक रहता है। ग्रहण 10 जून दोपहर 1:40 से शुरू होकर 6:40 तक रहेगा। सूर्य ग्रहण की अवधि 5 घंटे रहेगी। सूर्य लगभग 95 परसेंट ही ढकेगा अतः सूर्य का कुछ हिस्सा रह जाएगा इसीलिए इसकी आकृति कंकण जैसी होगी इसीलिए इस गृहण को नाम कंकणाकृती ग्रहण दिया गया है। यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप में आंशिक तौर पर दिखेगा। नॉर्थ कनाडा, ग्रीनलैंड, रसिया में पूरी तरह से यह दृश्य मान होगा। भारत पर यह ग्रहण कुछ हिस्सों पर दिखाई देगा। अतः सूतक काल मान्य नहीं होगा।

क्या पडे़गा प्रभाव
ग्रहण पड़ने से समस्त वातावरण पर कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है अतः भारत में आंदोलन की स्थिति राजनीतिक उथल-पुथल होने की संभावना बनी रहेगी एवं लोगों के इम्यूनिटी पावर की भी कमी होगी, बारिश तेज हवा होने की संभावना है।
यह ग्रहण वृष राशि एवं मृगशिरा नक्षत्र पर पड़ रहा है अतः मुंह संबंधित बीमारियां बढ़ सकती हैं, नेताओं के बीच वाद विवाद होने की संभावनाएं होंगी, लोगों के जीवन में वाणी वित्त और परिवार पर इसका असर देखने को मिलेगा। कुछ छुपे रहस्य सामने आ सकते हैं। करोना केसेस बढ़ सकता है, यात्रा में समस्या आएंगी।

वृष मिथुन तुला और कुंभ राशि के लिए यह ग्रह अनुकूल नहीं है।
मेष वृश्चिक कर्क मकर राशि को अपने स्वास्थ्य एवं धन पर विशेष ध्यान रखना है उनसे संबंधित परेशानियां आएगी।
सिंह कन्या धनु के लिए सामान्य स्थिति रहेगी क्योंकि यह ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं है अतः गर्भवती स्त्रियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जो भी स्त्री गर्भवती है इस बीच अगर उपासना करें या किसी मंत्र का जाप करें तो बहुत ही लाभप्रद होगा। सूर्य की उपासना पूरब दिशा की ओर बैठकर करें एवं चंद्रमा की उपासना उत्तर दिशा की तरफ होकर बैठकर करें। मंदिर के कपाट बंद नहीं होंगे।

इसी के साथ आज ही के दिन अमावस्या पड़ रही है और कृष्ण पक्ष की जयेष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। आज ही के दिन शनि देव का जन्मदिन माना जाता है। शनि जो कि न्याय के देवता हैं उन को खुश करने का आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। शनिदेव के साथ भगवान शिव एवं हनुमान जी की पूजा अवश्य करें। पीपल के वृक्ष की पूजा करें। सरसों के तेल में काले तिल डालकर पीपल के वृक्ष पर चढ़ाएं। शनि चालीसा का पाठ सुबह एवं साय काल करें। सुबह एवं शाम को पीपल के पेड़ पर दीपक जलाए।
शनि देव को इमरती का भोग लगाएं एवं नीला पुष्प अर्पित करें। काला तिल, काला वस्त्र, सरसों का तेल से अभिषेक करें। जिनकी भी शनि की साढ़ेसाती या ढैया या शनि की महादशा चल रही हो तो वह विशेष रूप से आज के दिन न्याय के देवता शनि देव को प्रसन्न करें। लोहे के बर्तन और दवाई का भी आज दान करना उत्तम होता है। किसी भी गरीब को भोजन अवश्य कराएं। अपने कर्मचारी को बीमारी का खर्चा दे। जैनों के तीर्थंकर मुनीसुव्रत स्वामी का ध्यान करें। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें। शिवलिंग पर जल काला तिल मिश्रित करके चढ़ाएं एवं उसके पश्चात एक बेलपत्र चढ़ाएं। पितरों के निमित्त आज किया गया दान बहुत लाभकारी होता है। पितरों के लिए जल में काला तिल कच्चा दूध एवं जल मिलाकर पीपल के वृक्ष पर अर्पित करें एवं विष्णु जी का समरण करें। आज अपने भोजन में से गाय कुत्ते और कौए का भोजन अवश्य निकालें। गाय को काला तिल मिलाकर रोटी बनाकर खिलाएं। जब भी आप दीपक जलाएं तो आपका मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए। शनिदेव अपने क्रूर दृष्टि उन्हीं पर दिखाते हैं जो पूजा जब तक धर्म नहीं करते हैं अन्याय करते हैं किंतु जो लोग सच के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं शनिदेव की विशेष कृपा उनके ऊपर होती है अतः आज का दिन बहुत विशेष है वट सावित्री का व्रत सूर्य ग्रहण एवं शनि जयंती अतः आज के दिन विशेष रूप से पूजा करके अपने जीवन में मंगलमय स्थिति को प्राप्त करें यही कामना करती हूं।

वट सावित्री का व्रत 10 जून गुरुवार के दिन रखा जाएगा
अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी 9 जून दोपहर 1:55 पर एवं तिथि की समाप्ति होगी 10 तारीख 4:22। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण दोपहर 1:40 पर शुरू होकर साय काल 6:40 पर समाप्त होगा। पूजा के लिए हमेशा ही अभिजीत मुहूर्त अमृत काल एवं ब्रह्म मुहूर्त शुभ माने गए है। 10 जून वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा । इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:00 बज के 50 मिनट से दोपहर 12:53 तक रहेगा। अमृत काल सुबह 8:08 से सुबह 9:56 तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:08 से सुबह 4:55 तक रहेगा। राहु काल में पूजा करना वर्जित माना गया है । राहुकाल 2:30 बजे से 3:30 बजे तक रहेगा अतः इस दौरान पूजा ना करें। जैसा कि सभी को मालूम है कि यह वट सावित्री का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती है । यह व्रत करने से घर में सुख संपत्ति एवं पति के स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है। व्रत के दिन प्रातः काल उठकर स्नान से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें ।विशेषकर वटवृक्ष की पूजा की परंपरा है। पूजा के लिए बांस की टोकरी में 7 तरह के अनाज रखें एवं दूसरी टोकरी देवी सावित्री सत्यवान की प्रतिमा या फोटो रखें।
इसके पश्चात वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं एवं कुमकुम, फल, फूल, मौली, चने की दाल, सूत, अक्षत, धूप, दीप लाल रोली, से वट वृक्ष की पूजा करें। वट वृक्ष की पूजा प्रारंभ करने से पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश का आह्वान करें। उसके बाद ही पूजा प्रारंभ करें। अब सूत के धागे को वटवृक्ष 5, 7 या 12 या 108 चक्कर लगाते हुए लपेटकर बांधे। हर परिक्रमा पर एक चना वृक्ष पर चढ़ाएं। इसके पश्चात वट वृक्ष के नीचे या घर पर व्रत कथा सुने या पढ़े एवं अखंड सुहाग की कामना करें। इस व्रत को देवी सावित्री अपने पति सत्यवान के लंबी आयु के लिए रखा था। वह यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आई थी तभी से सुहागन महिला इस व्रत को रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है। ऐसी मान्यता है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों भगवान का वास है इसीलिए आज के दिन वट वृक्ष का स्पर्श भी कर लिया जाए तो उसे श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। आज के दिन नमक का त्याग करना चाहिए। पूजा के पश्चात पति का आशीर्वाद अवश्य ले एवं पारणा में सर्वप्रथम पेड़ के पत्ते या कोपल का सेवन करें।