हम अक्सर शहरों में इस बात को देखते हैं कि कहीं पर भी कतार लगती हो तो कई व्यक्ति यह कोशिश करते है कि भले ही लेट आए पर सबसे पहले आगे लग जाए। अक्सर देखते हैं कई वाहन चालक खासकर टू व्हीलर, रिक्शा या पब्लिक ट्रांसपोर्ट वालों के दिमाग में यही रहता है कि मैं कैसे भी आगे निकल जाऊं चाहे नियम ही क्यों ना तोड़ना पड़े। मेरा काम बस पहले हो जाए, जाते से यह प्रवृत्ति बनी रहती है चाहे उनके आगे कितने भी आदमी काम के लिए खड़े हो। कई समृद्ध विदेशी शहरों में हम उनकी यह सभ्यता देखते हैं कि वह हर जगह उनसे आगे वाले व्यक्ति का सम्मान रखते हैं वाहन चलाते वक्त भी मुस्कान देते हुए चलते हैं। हमारे यहां मॉर्निंग वॉक करने वालों को आप देखिए बहुत कम ऐसे मिलेंगे कि जो आप से गुड मॉर्निंग नमस्ते करेंगे और बहुत से एसे हैं कि वे मुस्कुराना ही नहीं जानते।
शहर का कल्चर और सभ्यता वहां के रहने वालों के व्यवहार से दिखता है। शहरवासी आपस में मिलजुल कर रहे, शांति रखें सब्र रखें और एक दूसरे का आदर करें। कई शहरवासी तो सफाई का मान समझने लगे है। बस आपस मे मुस्कुराना और जो आगे हैं उन्हें आगे रहने दे उनके पीछे खड़े हो जाना सीख जाएं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)