जयपुर,(दिनेश शर्मा” अधिकारी”)। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा)के कार्यकारी न्यायधीश के निर्देश पर प्रदेश की समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा)अध्यक्षों को सचिव न्यायधीश बिजेंदर जैन ने 31 जुलाई को निर्देश जारी कर सभी अधीनस्थ अदालतों के अध्यक्ष को निर्देश दिए हैं कि “प्राधिकरण अधिनियम 1987 ” में वर्णित लोक अदालत की परिभाषा में न्यायालयों में पदस्थापित समस्त न्यायिक कर्मचारी गण जिन्होंने स्वयं पद पर लोक अदालतों का अतिरिक्त काम किया है उन सभी को अतिरिक्त कार्य के लिए 2 दिन के मूल वेतन के बराबर मानदेय प्राप्त करने के अधिकारी हैं,यह केवल उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होगा जो सेवा नियम 2017 की श्रेणी में चालक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वर्ग में आते हैं परंतु उक्त मानदेय राजपत्र प्रकाशन में वर्णित राजपत्रित कर्मचारियों को मानदेय देय नहीं होगा।साथ ही किसी कारणवश संपूर्ण माह न्यायालयों का नियमित कार्य स्थगित रहता है या किसी भी कारण से लोक अदालतों का कार्य संपादित नहीं होता है,तो ऐसी स्थिति में यह अतिरिक्त मानदेय देय नहीं होगा। रालसा सचिव जैन ने अपने निर्देशों में हाईकोर्ट से जारी आदेश क्रमांक जी आई ए 463 दिनांक 9 जुलाई 2021 से प्राप्त निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान राज्य न्यायिक कर्मचारी संघ द्वारा दिनांक 23 फरवरी 2021 को प्राप्त जयपुर में ज्ञापन क्रमांक 3332-3367 के माध्यम से बताया कि मानदेय भुगतान के मामले में प्रदेश के विभिन्न अधीनस्थ जिला न्यायालयों में भिन्न-भिन्न श्रेणी में अलग-अलग प्रक्रिया अपना करमानदेय का भुगतान किया जा रहा है। सभी में एकरूपता लाने के लिए संघ ने जयपुर के पिंकसिटी प्रेसक्लब में मीडिया कॉन्फ्रेंस आयोजित कर अपनी मांग को सचिव के माध्यम से राज्य सरकार तक प्रेषित किया था। इस ज्ञापन के जवाब में सचिव ने दिनांक 9 जुलाई 2021 को ज्ञापन की मांग पर कार्यवाहक न्यायधीश से आदेश प्राप्त कर निर्देशित किया कि जिन योग्य कर्मचारियों ने स्वयं के पद पर लोक अदालत का अतिरिक्त कार्य किया है उन्ही योग्य कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान किया जाए।अयोग्य कर्मचारी मानदेय का भुगतान प्राप्त करने के अधिकारी नही है।न्यायिक कर्मचारी संघ की मांग पर जवाब में समस्त जिला (अध्यक्षो)न्यायाधीशों को ये निर्देश जारी किए हैं।