-गुटबाजी के चलते मामला गड़बड़ हो सकता था, 10 जनपद भी वजह बताई जा रही है
जयपुर,(हरीश गुप्ता)। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन के बाद तरह-तरह की चर्चाओं के दौर शुरू हो गए। भाजपा ने स्थानीय नेताओं पर भरोसा न होने का आरोप लगाया, तो पार्टी में फूट का कारण बताया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो बुधवार को राज्यसभा सीट के नामांकन के लिए कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के नामांकन दाखिल करने के बाद से कांग्रेस पार्टी में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कुछ का कहना है, ’10 जनपद बचाना जो है।’ ‘…राम मंदिर के बाद अब रायबरेली सीट पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।’ ‘मंदिर से देश वर्तमान में राममय हो चुका है।’ ‘…यूपी में तो गैर भाजपा को बड़ी मुश्किल आ सकती है।’
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं यह भी हैं, ‘यहां पार्टी में गुटबाजी सर्वविदित है।’ ‘…यह भी डर था कि गहलोत किसी को खड़ा करते तो पायलट गुट गड़बड़ न कर दे और पायलट गुट से कोई आता तो गहलोत गुट क्रॉस वोटिंग न कर दे।’ नतीजतन पक्की पकाई सीट हाथ से निकल सकती थी।
सूत्रों की मानें तो अलवर पूर्व राज परिवार के भंवर जितेंद्र भी राज्यसभा में जाने की फिराक में थे, लेकिन पायलट गुट की वक्र दृष्टि ना हो जाए, इसलिए हिम्मत नहीं की। नेता प्रतिपक्ष के मामले में उनकी गहलोत से नजदीकियां हो गई थी। भंवर जितेंद्र गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं यह भी हैं, ‘सोनिया गांधी 1999 से उत्तर प्रदेश से सांसद हैं।’ ‘…25 साल हो गए, इस बार क्यों डर गई?’ ‘जब मुखिया ही डर जाएगा तो आम कार्यकर्ता में कैसे हिम्मत बचेगी?’ ‘पार्टी ने राजस्थान को चारागाह बना रखा है।’ ‘…6 में से एक ही राजस्थान का है, राज्यसभा में प्रदेश की बात कौन रखेगा?
गौरतलब है वर्तमान में के सी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और नीरज डांगी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं।
वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने बुधवार को कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी बाहरी लोगों को राज्यसभा में भेजने का काम करती है। शायद पार्टी को स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं है।’