

भारत धीरे-धीरे विकसित देशों की श्रेणी में आ रहा है और खूब विकास काम तिव्र गति से चल रहे हैं। जनता भी भरपूर सहयोग कर रही, भरपूर टैक्स दे रही है, पेट्रोल डीजल गैस की बढ़ती महंगाई पर विरोध न करके सहनशीलता दिखता हुए सहयोग कर रही है इसलिए सरकारी खजाने में अच्छी खासी रकम इकठ्ठी होती है और उसी अनुसार भारत में विकास कार्य तेजी से चल रहे है। देश में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शुरू हो गए हैं जब शहरों के विकास कार्य की बात होती है तो सरकार योजना अनुसार पैसा तो देती है लेकिन जो योजनाकार होते हैं उन्हें जो इंजीनियर तकनीशियन सलाह देते हैं जो प्रोजेक्ट की रूपरेखा बनाते हैं उसमें स्मार्टनेस होनी चाहीये जो स्मार्ट सिटी बनाने का बीड़ा उठा रहे है। कई जगह स्मार्ट इंजीनियरिंग नहीं होने से बहुत सारी तकनीकी गलतियां हो रही है और विकास कार्य डेवलपमेंट उसी अनुसार हो रहे हैं डेवलपमेंट कमिटीओं में भी सरकार शहर के तजुर्बे दार प्रोफेशनल व्यक्तियों को शामिल नहीं करते हैं। जो विभागीय इंजीनियर है जो अफसर हैं उन्हीं को काम सौप रखा है उनके साथ स्थानिय नेता कमेटी में होते हैं। जबकि एक्सपोर्ट व्यक्ती कमेटी में होना चाहिए इसलिए कहीं कही पर कुछ ठीक काम हो रहा है पर कई जगह बहुत गलत काम हो रहे हैं और करोड़ों अरबों रुपए खर्च जरूर हो रहे लेकिन जनता उतनी ही दुखी हो रही। उदयपुर मे सेक्टर 6 तक वाली सडक के विकास का दर्द जनता से जानिये।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
