– अनमोल कुमार
महान स्वतंत्रता सेनानी और बाल गंगाधर तिलक के साथ बेलूर मठ पश्चिम बंगाल मे रह कर देश की स्वतंत्रता के लिए योजना बनाने वाले स्वामी विवेकानंद का 4 जुलाई 1902 मैं स्वर्गवास हो गया l संपूर्ण राष्ट्र ऐसे महान विभूति को श्रद्धा सुमन अर्पित करती है ।
उठा जागो चलो और तब तक चलो जब तक कि मंजिल ना मिल जाए । बीए की डिग्री तक उनका नाम नरेंद्र नाथ दत्त था बेरोजगारी को लेकर दर-दर भटकने वाले युवकों के प्रेरणा स्रोत विवेकानंद के पिताजी की मृत्यु के बाद संपूर्ण परिवार दाने दाने के लिए मोहताज हो गया ।ईश्वर से भी इनकी आस्था उठ गई थी परंतु ऊपर के स्लोगन ने इनके अंदर जोश ऊर्जा और हौसला को बुलंद रखा ।

शिकागो में जीरो पर इनका लंबा अभिभाषण सारे श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया लगातार 3 दिनों तक हिंदी में 0 पर उनका भाषण ने पूरे विश्व को गणितीय आभार को जागृत किया और पूरे विश्व में इन्होंने एक नया कीर्तिमान हासिल किया । उन्होंने कहा कि संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी ही शानदार होगी और अपने कर्म के बल पर उन्होंने भाग्य रेखा को बदल डाला ऐसे कर्मठ एवं युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद को सादर नमन ।