

बीकानेर।राज्य सरकार की ओर से चलाएं जा रहे शुद्ध के लिये युद्ध अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से त्यौहारी सीजन को देखते हुए मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिये सैम्पलिंग की जा रही है। इसी कड़ी में फूड इस्पेक्टर की अगुवाई में भुट्टों के चौराहे पर स्थित खंडेलवाल मिष्ठान भंडार पर विभाग की टीम पहुंची और अनेक खाद्य वस्तुओं के सैम्पल लिए। इस दौरान मिठाईयों व अन्य खाने-पीने के सामान की गुणवता भी जांची के प्रयोगशाला भेजा गया है। वहीं साफ सफाई, उपभोक्ताओं को सामान तोलने के समय कार्मिकों द्वारा तय मापदंड़ों के अनुसार हाथ में गलब्स पहनने सहित अनेक मापदंड़ों की भी पड़ताल की जा रही है।
बीकानेर शहर के प्रमुख मिष्ठान प्रतिष्ठानों से लिए मिठाइयों के 8 नमूने
होली त्यौहार के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीकानेर शहर के प्रमुख मिष्ठान प्रतिष्ठानों से मिठाइयों के नमूने से लिए गए। सीएमएचओ डॉ बी एल मीणा ने बताया कि आमजन को त्यौहार पर शुद्ध मिठाइयाँ मिल सकें इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 1 जनवरी से 31 मार्च तक चलाए जा रहे शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में मिठाइयों पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। सोमवार को एफएसओ महमूद अली द्वारा गजनेर रोड स्थित खंडेलवाल मिष्ठान भंडार से कलाकंद व पंधारी के लड्डू के, बीकानेर मिष्ठान भण्डार से बेसन बर्फी व बूंदी के लड्डू के तथा सुशील वैरायटी से मावा बर्फी व रसगुल्ले के नमूने लिए। रानी बाज़ार औद्योगिक क्षेत्र में बीकानेर फूड प्रोडक्ट्स से गुलाब जामुन व रसगुल्ले के नमूने लिए गए।
इस प्रकार मिठाइयों के कुल 8 नमूने संग्रहित किए गए जिसे खाद्य प्रयोगशाला बीकानेर में जांच के लिए भेजा जाएगा। दल में
डॉ राजेन्द्र चौधरी, जिला फ्लोरोसिस समन्वयक महेंद्र जयसवाल व सहायक कर्मचारी सुखदेव शामिल रहे।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी एल मीणा के निर्देश पर की जा रही इस कार्यवाही में नमूने फेल होने की स्थिति में कार्यवाही भी की जाएगी।
लगातार आ रहे है नमूने फेल
बीकानेर के खाने-पीने के शौकीनों के साथ ही इन चीजों की शुद्धता वाला शहर भी माना जाता है लेकिन अब शहर की गुणवत्ता वाली पहचान पर बट्टा लगता जा रहा है। बीते दो सालों सहित इस महीने के दो महीनों में यहां जितने भी खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए उनमें से करीब एक चौथाई मानकों पर खरे नहीं उतरे।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2020 से फरवरी 2022 तक बीकानेर में 1220 सैंपल की जांच हुई। इनमें से 322 नमूने गुणवत्ता के पैमानों पर सही नहीं पाए गए। इनमें ज्यादातर दूध या इससे बनी चीजें हैं। मसलन, घी, मिठाई आदि। वर्ष 2020 में सबसे ज्यादा 27.51 प्रतिशत नमूने फेल हुए।
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है, जो सैंपल फेल हुए हैं, उन सबके केस बनाकर चालान किए जाते हैं। इनमें कोर्ट की तरफ से ही सजा या पेनल्टी का प्रावधान होता है। चूंकि स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने ये सभी सैंपल रैंडम पद्धति से यानी अभियान चलाकर जिले में अलग-अलग जगहों से लिए गए हैं, ऐसे में माना जा सकता है कि पूरे जिले में एक चौथाई से ज्यादा खान-पान की चीजें ऐसी बिक रही है जो खाने से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती है।