हिंदी राष्ट्रभाषा है। अत: भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को हिंदी भाषा का थोड़ा थोड़ा ज्ञान जरूरी है। थोड़े बहुत बोलचाल के शब्द उन्हें याद कराएं जा सकते हैं। इसके लिए पूरे भारत में सडको पर लगने वाले साइन बोर्ड हिंदी में हो और वही लोकल भाषा में भी लिखा हो ऐसा होने से धीरे-धीरे जो व्यक्ति हिंदी नहीं जानते हैं उन्हें थोड़े-थोड़े हिंदी के शब्द बार-बार पड़ने पर याद हो जाएंगे और हिंदी की गरिमा पूरे देश में रहेगी। हाल फिलहाल में हिंदी की हालत ऐसी हो गई की हिंदी बोलते बोलते उसमें इंग्लिश के शब्द मिलाते हुए बोलने पर एक नई भाषा हिन्दलिश बन गई। हिंदी भाषा में वैसे उर्दू के कई शब्द बोलतः आये है। मुंबई में तो हिंदी अलग ही रूप में बोली जाती है। कई स्कूलों में हिंदी ऑप्शनल सब्जेक्ट होता है इसे रोकना होगा और हिंदी एक कंपलसरी सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाना होगी। यहां मैंने भी कई उर्दू और इंग्लिश के शब्दों का इस्तेमाल किया क्योंकि यदि बिल्कुल शुद्ध हिंदी में लिखता है शायद पढ़ने में अजीब लगता या समझाने में अजीब लगता। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, आंगनवाड़ी, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल आदी ऐसे सभी सार्वजनिक स्थान पर भी हिंदी और लोकल भाषा में साइन बोर्ड लगे हो। परिवार नियोजन पोलियो या अन्य कई मैसेज की बुकलेट भी हिंदी और लोकल भाषा में हो। यह सब थोड़ी-थोड़ी हिंदी बार-बार देखने पड़ने पर जनता को याद हो जाएगी।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)

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