– हिन्दू जनजागृति समिति का ‘मान्यवर’ ब्रांड को बहिष्कार की चेतावनी

– हिन्दू धर्म का ‘कन्यादान’, ही ‘कन्यामान’ है; ‘मान्यवर’ ब्रांड हमें ज्ञान ना दे।

(करण समर्थ – आयएनएन भारत मुंबई)
‘हमारे हिन्दू धर्म में ‘विवाह संस्कार’ एक महत्त्वपूर्ण संस्कार है और विवाह विधि में ‘कन्यादान’ इसकी एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक विधि भी है । हिन्दू धर्म में एक परिवार के लिए कन्यादान को सर्वश्रेष्ठ संस्कार माना गया है । ऐसा होते हुए भी हाल ही में ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी ने अपने ‘मान्यवर’, इस प्रसिद्ध कपडों के ब्रांड का एक विज्ञापन मे ‘कन्यादान’ किस प्रकार अनुचित है, साथ ही ‘दान करने के लिए कन्या क्या कोई वस्तु है ?’ ऐसा प्रश्‍न उपस्थित कर ‘अब कन्यादान नहीं, तो कन्यामान’ ऐसा परंपरा बदलने का संदेश दिया गया है । यह विज्ञापन हिन्दू धर्म की धार्मिक कृतियों का अनुचित अर्थ बताकर दुष्प्रचार करता है । यह हमारी धार्मिक कृतियों का अपमान और हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करता है । हिन्दू जनजागृति समिति इस विज्ञापन का विरोध करती है । हिन्दू धर्म की ‘कन्यादान’ विधि मूलत: कन्या का सम्मान करनेवाली अर्थात ‘कन्यामान’ ही है । इसलिए ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी यह विज्ञापन तत्काल हटाकर, हिन्दुओं से बिना शर्त क्षमायाचना मांगे । जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ‘हिन्दू समाज ‘मान्यवर’ ब्रांड का बहिष्कार करे, ऐसा हम हमारे समाज को आवाहन करते हैं,’। ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने सूचित किया ।

हिंदू धर्म तथा सामाजिक न्याय पर बेबाक राय रखनेवाले सनातन धर्म संस्कृती अभ्यासक, फिल्म निर्देशक करण समर्थ ने इस विज्ञापन पर एतराज़ जताते हुए, ‘मान्यवर हिन्दूओं को ज्ञान ना दें, यह विज्ञापन हमारे हिन्दू धर्म कार्य विरोधी है और हम व्यक्तिगत रूप से इसका निषेध करते है। हम सभी हिंदूओं को आलिया भट्ट तथा मान्यवर ब्रांण्ड़ का बहिष्कार करना चाहिए। यह कुछ वह सिलेक्टड सेलिब्रिटीज और लोकप्रिय ब्राण्ड्स है, जिनका हमारे धर्म से कोई लेना-देना नहीं है फिर भी वह मुफ्त की पब्लिसिटी हासिल करने के लिए हमेशा अपनी सस्ती सड़कछाप सोच से हमारे संस्कृति तथा धार्मिक विषयों को इस्तेमाल करके हिन्दू धर्म को प्रसार माध्यमों के जरिए गलत तरीके से अपनी ऐंसी घटीयां बेहूदा हरकतें करते रहते हैं। हमारी यह मांग है कि, किसी भी गैर हिंदूओं को हिंदूओं की धार्मिक विषयों पर चर्चा करना, अपनी राय रखना, कोई भी विरोधी कार्य करना इन्हें गंभीर सामाजिक दोषी मानकर संबंधित दोषींयों को गैर-जमानती वारंट के व्दारा गिरफ्तार करना चाहिए। ऐसे मामलों में पुलिस या प्रशासन को किसी तहरीर का इंतजार भी नहीं करना चाहिए’, ऐसी मांग की है।

इस विज्ञापन के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति के रमेश शिंदे ने आगे बताया, ‘इस विज्ञापन में ऐसा दर्शाया गया है कि, ‘हिन्दू धर्म का कन्यादान’ विधि यह एक प्रकार से महिलाओं का अपमान है । मूलत: इस विधि के अंतर्गत कन्यादान करते समय वर से वचन लिया जाता है । कन्या को वस्तु के रूप में नहीं दिया जाता, अपितु वधु का पिता वधु का हाथ वर के हाथ में देते हुए कहता है, ‘‘विधाता का मुझे दिया हुआ वरदान, जिसके कारण मेरे कुल में समृद्धि आई, वह तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं । यह तुम्हारे वंश की वृद्धि करेगी । इसलिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों कृतियों में उसकी प्रताडना न करें, उससे एकनिष्ठ रहें और दोनों आनंद से जीवन व्यतीत करें” । इस पर ‘नातिचरामि’ कहते हुए वर कहता है, “आपको दिए वचन का मैं कभी भी उल्लंघन नहीं करूंगा” । अब इतनी श्रेष्ठ विधि के विषय में तथाकथित आधुनिकतावाद दिखाकर जानबूझकर भ्रम फैलाकर हिन्दू धर्म को अपमानित (बदनाम) करने का प्रयास किया जा रहा है। ‌हम हिन्दू समाज की ओर से इसका कड़ा निषेध करतें हैं,’।

इसी मुद्दे पर करण समर्थ ने, ‘हमारी जानकारी के अनुसार वैसे आलिया भट्ट स्वयं ना ही हिन्दू हैं और ना ही भारतीय है।‌ वह तो भारत मे ब्रिटिश पासपोर्ट पर मात्र मेहमान की हैसियत से रहती है और पासपोर्ट में आलिया का धर्म मुस्लिम दर्ज है। जो उसके हवस के मुल्लें बाप ने जो शुरुआत से ही हिन्दू व्देषी है और उसने गई गुजरी सोनी राजदान से तिसरी शादी करने के लिए कानूनन इस्लाम कबूल किया था। महेश भट्ट का पूर्व इतिहास कुछ ऐसा है,‌ इस भट्ट साहब के बाप, जो कि हिन्दू अमीरजादा थे और उनकी माशुका मां मुस्लिम थी, जो इस अमीरजादें से बीना शादी से ही मां बनकर महेश को जन्म दिया था। लेकिन अपने अमीर परिवार के सामाजिक दर्जे के कारण अमीरजादें ने अपनी मुस्लिम माशुका और उसके दो बच्चों को स्वीकार नहीं किया। इससे बचपन से नाराज़ भट्ट पूरे हिन्दू समाज के दुश्मन बन गए और इसी दुश्मनी को अब आलिया निभा रही है। लेकिन अपनी जाती दुश्मनी पूरे हिन्दू समाज पर निकालने का भट्ट खानदान के षड़यंत्र अब बन्द करने का समय आया है’, ऐसी शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं।

‘हमारी भारतीय संस्कृति इस विश्व की सबसे प्राचीन नागरी सभ्यता है, इसकी महत्ता अब हमें हुई है।‌ इसके बाद जो भी हमारे हिन्दू धर्म के खिलाफ विविध भ्रम फैलाकर जनमानस को गुमराह करने वालों को सामाजिक गुनहगार मानना चाहिए और इनके विरुद्ध कड़े कानून बनाने का वक्त आया है। गत कुछ समय सें वास्तववादी मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदूओं की हजारों वर्षों की महान परंपरा तथा गौरवशाली इतिहास को पिछले सैकड़ों वर्षों से मुगल, पुर्तुगीज, ब्रिटिश तथा कांग्रेस व्दारा छिपाकर जान-बूझकर गलत झूठा इतिहास फैलाया जानें के षड़यंत्र का आब पर्दाफाश हुआ है । आज का हिंदू अपने पूर्वजों की महान परंपरा तथा गौरवशाली इतिहास को समझते उसकी गरिमा पर विश्वास रखते हुए गर्व महसूस करता है। और इसलिए आज अगर कोई हमें सड़ी-गली जाहिलों वाली असभ्य मानसिकताओं लिप्त, जो असंस्कारी विचारों के समर्थक-उपासक अपनी औकात को जांचें बगैर हमारी महान सभ्यता पर अक्सर गलत कमेंट खरते रहते हैं। अब हम यह जान गए है यह असंस्कारी मानसिकता विचारों के समर्थक हमारे हिन्दू धर्म की धार्मिक कार्य व्यवस्था का कोई ज्ञान ना होने पर भी हमारे व्यक्तिगत विषयों में षड़यंत्र तहत किसी जाने-माने सेलिब्रिटीज तथा ब्रॅण्ड्स के माध्यम से समाज मे संभ्रम का वातावरण निर्माण करने का प्रयास करते हैं । इससे ना केवल हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है पर भारत में धार्मिक अस्थिरता की स्थति भी निर्माण होती है, यह हिन्दू विरोधी कार्रवाई का सिलसिला अब बंद होना चाहिए। इन कुछ ब्रॅण्ड्स तथा सेलिब्रिटीज ने समाज में अपनी जो अच्छी पोजिशन बनाइ रखी हुए हैं, जिसकी वजह से सर्व साधारण समाज इनके गलत प्रस्तुती का भी बीना सोचे-समझे विश्वास करके अपनें धार्मिक विषयों पर अविश्वास दिखाकर हिन्दू धर्म विरोधी षड़यंत्रों में फंसते हैं। आज हमें समझना चाहिए कि ऐसें गलत विज्ञापन जो हमारे धार्मिक भावनाओं पर गंभीर आघात करके धर्म विरोधी कार्यक्रम चला रहे हैं इसे रोकना होगा । हमारी राय में तो हिन्दू धर्म के किसी भी मामलों में उनको दख़ल देने का हक नहीं है, जो हमारी संस्कृती, पंरपरा, सभ्यता या विचारधारा से सहमत नहीं हैं । हम ऐसी हर निंदनीय कृत्यों का प्रखर विरोध करते है, इसलिए इसे समाज में आक्रांत निर्माण करने का प्रयत्न मानकर संबंधितों पर कानूनन कारवाई होनी चाहिए’, इस बात पर करण समर्थ ने जोर दिया।

‘हिन्दू धर्म में हर स्त्री को जितना सम्मान दिया गया है, उतना विश्व के किसी भी धर्म में नहीं दिया गया; अपितु कुछ प्रस्थापित धर्मों में तो स्त्री के साथ मानवीय आचरण भी नहीं किया जाता । हिन्दू धर्म में स्त्री को मां तथा देवी का स्थान दिया गया है और उनकी पूजा की जाती है । हिन्दू धर्म में बिना पत्नी के धार्मिक विधियां आरंभ ही नहीं की जा सकती । तब भी हिन्दुओं को ही गलत धारणा निर्माण करके निशाना बनाया जाता है । वर्तमान स्थिति में ‘हलाला’, ‘तीन तलाक’, ‘बहुपत्नीत्व’ जैसी प्रथाएं, साथ ही ‘स्त्री शैतान है’ ऐसा माननेवाली विचारधारा खुलकर अस्तित्त्व में है । उनके विषय में विज्ञापन तो दूर की बात है, साधारण विरोध करने के लिए भी कोई आगे नहीं आता । सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए ‘वेदांत फैशन्स लिमिटेड’ कंपनी पर अपराध प्रविष्ट कर कार्यवाही की जाए और विज्ञापनों के लिए भी ‘सेन्सर बोर्ड’ स्थापित किया जाए, ऐसी मांग भी केंद्र सरकार से की जाएगी। हमारे कार्यकर्ता हर मान्यवर के शोरूम बाहर सार्वजनिक निषेध कार्यक्रम आयोजन और कानूनी भी करेंगें, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा ।

You missed