एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने असम की जाबेदा बेगम के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट का एक केस है। हमारी एक बहन ने कोर्ट को 15 कागज दिखाए लेकिन उसे भारत का नागरिक नहीं माना गया। अब और कितने कागज आपको चाहिए?
उसने अपनी तरफ से जमीन का कागज दिया। 1966 के वोटर लिस्ट में अपने पिता के नाम होने का सबूत दिया। उसके मां-बाप और उसके भाई का नाम 2015 के वोटर लिस्ट में था लेकिन कोर्ट ने नहीं माना। ग्राम प्रधान ने भी लिख कर दिया कि जाबेदा बेगम की शादी हुई है। इसलिए मैं कहता हूं कि यह मामला कागज का नहीं है। अब उन्हें डिटेंशन सेंटर में जाना होगा, वो सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। मैं कहता हूं कि अगर एनपीआर हो गया तो एनआरसी हो जाएगा। एनआरसी के मामले में प्रधानमंत्री ने फिर से झूठ बोला है।