

श्री हनुमान जन्म की कथा
प्रस्तुति – अनमोल कुमार
महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11 वा रूद्र अवतार कहा जाता है और वह प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। हनुमानजी ने वानर जाति में जन्म लिया उनकी माता का नाम अंजना और उनके पिता का नाम वानर राज केसरी है। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरी नंदनाय आदि नामों से भी पुकारा जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमानजी को पवन पुत्र भी कहते हैं ।हनुमान जी के जन्म के पीछे पवन देव का योगदान है ।
एक बार अयोध्या नरेश चक्रवर्ती महाराजा दशरथ अपनी पत्नियों के साथ पुत्रेष्टि यज्ञ का हवन कर रहे थे ।यह हवन पुत्र प्राप्ति के लिए किया जा रहा था ।हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर आशीर्वाद स्वरूप तीनों रानियों को थोड़ी-थोड़ी बांट दी। खीर का एक भाग कौवा अपने साथ एक जगह ले गया जहां अंजनी माता तपस्या कर रही थी ।यह सब भगवान शिव और वायु देव की इच्छा से हो रहा था ।तपस्या करती हुई अंजना के हाथ में जब खीर आई तो उन्होंने उसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर ग्रहण कर लिया ।यही हनुमान जी के जन्म का माध्यम बना। श्री हनुमान जी का जन्म ज्योतिषीय गणना के अनुरूप चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था।