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गंगाशहर। जो स्वयं मर्यादा में रहते है उन्हें अन्य बन्धन की आवश्यकता नहीं होती। समाज सुधार के सम्बन्ध में जैन महासभा के 21 व्यंजन सीमा अभियान से समाज में एकरूपता व्याप्त हुई है। ये उद्गार महापौर नारायण चौपड़ा ने जैन महासभा द्वारा वर्ष 2018 के पंचांग के लोकार्पण एवं 21 व्यंजन सीमा अभियान में सहयोगी आयोजकों ने सम्मान समारोह में कही। यह समारोह जैन पब्लिक स्कूल हॉल में अयोजित हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए चौपड़ा ने कहा कि जैन महासभा संगठन, समाज सुधार व विकास के महत्वपूर्ण कार्य कर रही है, इससे समाज को और बड़ी उम्मीदें हो गई है। महापौर ने कहा कि वैवाहिक आयोजन सादगीपूर्ण होने चाहिए। व्यंजन सीमा के साथ ही सड़कों पर नाच गान व पटाखों आदि पर भी रोक लगनी चाहिए। उन्होंने महासभा द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि केरियर काउंसलिगं की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे विद्यार्थी अपना भविष्य तय कर सके।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. धर्मचन्द जैन ने कहा कि समाजिक मर्यादाएं कोई कानून नहीं बल्कि कानून से बढ़कर है। उन्होंने कहा कि शादी, विवाह, अन्य सामाजिक, पारिवारिक आयोजन मेल मिलाप समाज में प्रेम और सांमजस्य बढ़ाने के अवसर होते है। जैन पंचांग का लोकार्पण नारायण चौपड़ा महापौर नगर निगम बीकानेर, जैन महासभा के पूर्व अध्यक्ष इन्द्रमल सुराणा, विजय कोचर, चम्पकमल सुराणा व वर्तमान अध्यक्ष जयचन्द लाल डागा व महामंत्री जतनलाल दूगड़ व जैन लूणकरण छाजेड़, गणेश बोथरा व कलैण्डर के सभी दानदाताओं ने किया। पंचांग के बारे में जानकारी देते हुए जतन दूगड़ ने कहा कि पंचांग में तिथि, दिनांक, आयोजन, त्योंहार, सूर्योदय, सूर्यास्त, नवकारसी, पोरसी, दूघडिय़ा, चौघडिय़ा, पक्खी, संवत्सरी इत्यादि के साथ ही जैन धर्म के साथ ही अन्य सभी पर्वों व तीर्थकरों के पंचकल्याणक आदि की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि 21 व्यंजन सीमा अभियान की घर-घर जानकारी रहे, इसमें इस पंचांग की विशेष भूमिका है। दूगड़ कहा कि यह पंचाग सभी जैन परिवारों में नि:शुल्क वितरित किया जायेगा।

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जैन महासभा के अध्यक्ष जयचन्द लाल डागा ने कहा कि समाज में सादगीपूर्ण आयोजनों हेतु जैन समाज के प्रत्येक व्यक्ति को 21 व्यंजन सीमा अभियान के अनुरूप संकल्पित होना चाहिए। जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि सामाजिक सुधार के लिए अपनाये जाने वाले इन तरीकों से विचार भिन्न हो सकते है परन्तु प्रदर्शन, फैशन, दहेज, बड़े भोज की सीमा कहीं न कहीं तो बांधनी होगी। छाजेड़ ने कहा कि संकल्प में शक्ति होती है। सामाजिक सुधार तभी प्रभावी होते है, जब नेतृत्व करने वाले व्यक्ति स्वयं उन्हे व्यवहार में लेते है। छाजेड़ ने इस सम्बन्ध मे जैन महासभा के अध्यक्ष व पदाधिकारियों का साधुवाद व्यक्त किया कि वे स्वयं इस अभियान में शरीक है और तभी यह अभियान आज गर्व का विषय है। छाजेड़ ने कहा कि सुधार भी दान की भांति घर से शुरू होता है, यह स्वीकृत सत्य है और जैन महासभा के पदाधिकारियों ने अपने घरों से इसकी शुरूआत की है। छाजेड़ ने कहा कि जैन महासभा, ंबीकानेर के अभियान के तहत मुम्बई, सूरत आदि अनेक क्षेत्रों व जैन समाज के अलावा अन्य जाति वर्ग के लोगों ने भी 21 व्यंजन सीमा अभियान के अनुरूप अपने आयोजन किये है। महासभा के संस्थापक अध्यक्ष विजय कोचर, भैरूदान सेठिया आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
21 व्यंजन सीमा अभियान को अपनाने वाले लोगों को जैन पताका पहनाकर व सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अन्त में नगर निगम बीकानेर के पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा व जैन महासभा बीकानेर के संस्थापक सदस्य धर्मपाल जैन के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि व्यक्त की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ सामूहिक नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ। संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।

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