रंगमंचीय नाटक त्रिनेत्रीय होता है, जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य को अपने में समाविष्ट किए होता है : डॉ. चारण
बीकानेर। ‘नाटक प्रतिरोध का माध्यम है। वह समाज को चेताने का काम करता है, समाज में व्याप्त विसंगतियों-विदू्रपताओं-विरोधाभासों को वह उद्घाटित करता है, इसलिए अपना प्रतिरोध करने वाले इस माध्यम…