अब गुड़ियों का नहीं, बन्दूकों का बाज़ार है -राकेश दुबे
बुढ़ापे में खिलौने के बाज़ार जाने का एक अजब सुख है | अपनी पोती के लिए बोलने वाले तोते [खिलौना ] तलाशते हए पता लगा अब खिलौने का बाज़ार जैसी…
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बुढ़ापे में खिलौने के बाज़ार जाने का एक अजब सुख है | अपनी पोती के लिए बोलने वाले तोते [खिलौना ] तलाशते हए पता लगा अब खिलौने का बाज़ार जैसी…