चातुर्मासिक काल में तपस्या का महत्व : साध्वी सौम्यदर्शना

बीकानेर। श्री जैन तपागच्छ श्रीसंघ द्वारा आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला में मंगलवार को भगवान नेमिनाथ जन्मकल्याणक के तहत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया ने बताया कि 22वें तीर्थंकर प्रभु श्री नेमिनाथ के जीवन पर आधारित 22 प्रश्नों को साध्वी सौम्यप्रभा के सान्निध्य में पूछे गए तथा हाथोहाथ पुरस्कार भी वितरित किए गए। साध्वी सौम्यदर्शना ने स्वप्नों के फलादेश व कौनसे समय पर देखा गया स्वप्न कितनी अवधि के बाद फलीभूत होता है यह बताया। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि सुबह जल्दी उठने वाले का भाग्य भी सूर्य के साथ उदय हो जाता है। राग व द्वेष हमारे मोक्षमार्ग में सबसे बड़े बाधक हैं। चातुर्मासिक इस अवधि में तपस्या का महत्व है। आज की संघपूजा का लाभ मूलचंद माणकचंद राजेन्द्र कुमार कोचर परिवार द्वारा लिया गया।