– 56 दीक्कुमारियों ने की नाट्य की प्रस्तुति बाड़मेर शहर बना सौरीपुरी नगरी

बाड़मेर, ।खरतरगच्छ की राजधानी बाड़मेर नगर में जैन धर्म के बाईसवें तीर्थकंर भगवान नेमीनाथ का जन्मकल्याणक महोत्सव परम पूज्या साध्वी श्री मृगावतीश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-3 की निश्रा में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, चातुर्मास समिति, बाड़मेर के तत्वावधान में आयोजित किया।
स्थानीय जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथजी के जन्म कल्याणक पर आधारित नाट्य मंचन को जिसने भी देखा, मानो धन्य हो उठा। इस नाटक की सबसे बड़ी खासियत इसकी दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति रही। शुरू से अंत तक इसने श्रोता-दर्शकों को बाँधे रखा।
शौर्यपुरी बने जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन के अनुभव प्रवचन सभा का पूरा हाॅल खचाखच भरा हुआ था। नाट्य प्रस्तुति की शुरूआत में ही चैदह स्वप्नों पर बालिकाओं द्वारा किए गए नृत्य ने तो जैसे समाँ ही बाँध दिया। इसके बाद जब भगवान के जन्म वाले क्षण आए तो श्रोता-दर्शक मानो खो गए। जन्म वाले दृष्य के दौरान तो पूरा हाॅल जय-जयकार व तालियों से गूँज उठा। इसी तरह विभिन्न दृष्यों में भी काफी देर तक जय-जयकार होती रही। मंचीय साज-सज्जा तो अद्भुत थी ही, इसके अलावा पात्रों की भावभंगिमाएँ, संवाद अदायगी, रूपसज्जा, विद्युत सज्जा, ड्रेस डिजाइनिंग आदि ने भी एक अलग ही छाप छोड़ी। कुल मिलाकर नाट्य प्रस्तुति हृदयस्पर्शी रही।
– इन दृष्यों का किया गया मंचन
कार्यक्रम में शौर्यपुरी नगरी में महारानी शिवादेवी द्वारा मध्यरात्रि में 14 स्वप्न दर्शन, स्वप्न पाठक राज ज्योतिष का आगमन, राज ज्योतिष द्वारा स्वप्न फल, चारों का संवाद, परमात्मा का 56 दिक्कुमारिकाओं द्वारा जन्म महोत्सव, स्र्वगलोक में सौधर्मेन्द्र का आसन कम्पायमान, हरिणेगमेशी देव द्वारा सुघोषा घंटनाद कर समस्त देवलोकों में परमात्मा के जन्म की सूचना, सौधर्मेन्द्र द्वारा पांच रूप कर 64 इन्द्रों द्वारा मेरूशिखर पर परमात्मा का जन्माभिषेक, प्रियवंदा दासी द्वारा परमात्मा के जन्म की बधाई आदि दृश्यों का मंचन किया गया।

– इन पात्रों ने निभाई अपनी भूमिका
’राजा-रानी-रमेशकुमार-कौशल्या मेहता, छड़ीदार- मनोज छाजेड़-दीपक बोहरा़, इंद्र- इन्द्राणी-संजय-संगीता बोहरा, प्रियवंदा दासी- पंकज डूंगरवाल़, हरिणेगमैशी देव- ऋषभ जैन, राज ज्योतिष- गौतम छाजेड़, ने अपनी अनूठी भूमिका निभाई। इसी तरह चैदह स्वप्न दर्शन व छप्पन दिक्कुमारिकाओं के नृत्य की प्रस्तुति विभिन्न बालिकाओं द्वारा दी गई। कार्यक्रम में गौरव मालू एण्ड पार्टी बाड़मेर व सुश्री कोमल गोलेच्छा फलौदी द्वारा जन्म कल्याणक की उजमणी में शानदार रमझट जमाई गई। तीर्थंकर एक सत्य, एक प्रकाश है जो मानव की भावभूमि प्रकाशित करते है –
स्थानीय आराधना भवन में परम पूज्या साध्वी श्री मृगावतीश्रीजी म.सा. ने भगवान नेमीनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव में उपस्थित धर्मावलम्बियों को संबोधित करते हुए कहा कि तीर्थंकर एक सत्य, एक प्रकाश है जो मानव की भावभूमि प्रकाशित करता रहा है। तीर्थंकर की वाणी को एक क्षण मात्र के लिए भूल कर देखिए- जीवन शून्य हो जाएगा- सभ्यता के सारे ताने-बाने नष्ट हो जाएँगे। पंच कल्याण महोत्सव में कई रूपक बताए जाते हैं, जैसे च्यवन के नाटकीय दृश्य, 14 स्वप्न, तीर्थंकर का जन्मोत्सव, सुमेरु पर्वत पर अभिषेक, तीर्थंकर बालक को पालना झुलाना, तीर्थंकर बालक की बालक्रीड़ा, वैराग्य, दीक्षा संस्कार, तीर्थंकर महामुनि की आहारचर्या, केवल ज्ञान, समवशरण, दिव्यध्वनि का गुंजन, मोक्षगमन, नाटकीय वेशभूषा में भगवान के माता-पिता बनाना, सौधर्म इंद्र बनाना आदि। ऐसा लगता है जैसे कोई नाटक के पात्र हों। किन्तु सचेत रहें ये नाटक के पात्र नहीं हैं। तीर्थंकर के पूर्वभव व उनके जीवनकाल में जो महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं, उन्हें स्मरण करने का यह तरीका है। उन घटनाओं को रोचक ढंग से जनसमूह में फैलाने का तरीका है। हमारी मुख्य दृष्टि तो उस महामानव की आत्मा के विकास क्रम पर रहना चाहिए जो तीर्थंकरत्व में बदल जाती है। भावना रहती है कि आध्यत्मिक क्षेत्र की झांकियां आज के युग की जनता के समाने चित्र-सचित्र करके दिखायें। अभव्य जीव भी परमात्मा का बाह्य आडम्बर, भगवान का समवसरण देखकर परमात्मा बनने की झंखना करते है।
भारत तीर्थंकरों की भूमि- साध्वी श्री नित्योदयाश्रीजी म.सा. ने कहा कि भारत की भूमि तीर्थंकरों की भूमि है। महापुरूषों, ऋषि-मुनियों, दानवीरों, भामाशाहों की भूमि है। ये भारत भूमि ऐसी भारत भूमि है जहां कृषि-ऋषि मुनियों का साम्राज्य सदैव चला है। कल्याणं करोति इति कल्याणकः अर्थात् जो सभी जीवों का कल्याण करता है, विघ्नों – कष्टों को दूर करता है, उसे कल्याणक कहते हैं ।तीर्थंकर परमात्मा के जीवन के 5 क्षणों को कल्याणक कहते हैं।

खरतरगच्छ चातुर्मास समिति बाड़मेर अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा व सचिव रमेश पारख ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में नेमीनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव कार्यक्रम के संयोजक ओमप्रकाश बोथरा (गुड़ावाले), सहसयोजंक चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़, अषोक संखलेचा ‘भुणिया’, मोहित लूणिया, उदय गुरूजी, पूजा संखलेचा, रक्षिता छाजेड़ व स्टेज साज-सज्जा में गोठी इवेन्टस का अनुकरणीय योगदान रहा। व गोठी इवेन्टस द्वारा मंच साज-सज्जा में निस्वार्थ भाव से सहयोग प्रदान किया गया। इस अवसर पर जीवदया में हजारों श्रद्धालुओं ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के अंत में सहसंयोजक चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करने वाले सभी कार्यक्रताओं का आभार व्यक्त किया गया। जन्म कल्याणक के अवसर पर सुशीलादेवी दीपचंद माणकमल मालू परिवार लड्डू की प्रभावना की वितरण किया गया।