30 चित्रकारों की एक कला प्रदर्शनी ‘सृजनोद्भव’’ का आगाज़
30 चित्रकारों की एक कला प्रदर्शनी ‘सृजनोद्भव’’ का आगाज़

बीकानेर । संस्कार भारती बीकानेर महानगर ईकाई के चित्रकला विधा के वार्षिक आयोजन के तहत बीकानेर के वरिंष्ठ चित्रकारों , चित्रकला शिक्षकों तथा कलाविद्यार्थियों सहित 30 चित्रकारों की लगभग 60 पेन्टिंग्स का सुदर्शना कलादीर्घा में आयोजित ‘एक कला प्रदर्शनी ‘सृजनोद्भव’’ का उदघाटन संस्कार भारती के अध्यक्ष श्री मुनीन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, महामंत्री जीनगर नारायण आसेरी ,अन्य पदाधिकारी तथा संस्कार भारती सदस्यों की उपस्थिति में गुरुवार प्रातः 11 बजे प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक आई.ए.एस. श्री पी.सी.किशन के मुख्य आतिथ्य में उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में डीन,पोस्ट ग्रेजुएट स्टडी, एस.के कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर श्रीमती विमला डुंकवाल एवं आमंत्रित प्रसिद्ध चित्रकारों व कला प्रेमी जन भी उपस्थित रहे।

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श्री पी.सी.किशन ने व अन्य वरिष्ठ चित्रकारों ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात संस्कार भारती द्वारा प्रकाशित प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रकारों का बहुरंगी कैटलोक का विमोचन भी किया गया। जिसमें संस्कार भारती का संक्षिप्त परिचय व प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्र व चित्रकारों का मय परिचय बहुरंगी आवरण के प्रकाशित किया गया है । मुख्यअतिथि ने प्रदर्शनी की शुरूवात डुंगर कालेज के प्रोफेसर डॉ. नरेन्द्र कुमार की कृति श्रीगणेश से किया। श्री किशन ने प्रत्येक उपस्थित चित्रकार से पेन्टिंग के बारे में जानकारी ली व चित्रकार से परिचय किया। जिसमें चित्रकार जसवन्त सिंह राजपुराहित, डॉ.सतीश गुप्ता, नारायण आसेरी, अनिकेत, कमल जोशी, पृथ्वीसिंह राजपुरोहित, अम्बिका मण्डा, मालचन्द पारिक, श्री वल्लभ, अमित डांगी, उमाशंकर स्वामी, अनुराधा , अभिलाषा व सुलोचना के कृतियों पर ध्यानाकर्षण रहा । कुछ कला कृतियों तो राष्ट्रीय आर्ट गैलरी में प्रदर्शन योग्य भी बताया।

अतिथियों का शॉल ओढाकर व माल्यार्पण कर किया स्वागत

कानेर में कला है और कलाकार भी परन्तु कलाप्रेमीयों की संख्या बढाने व खरीददार बनाने की अतिशीघ्र आवश्यकता है। प्रदर्शनी अवलोकन पश्चात आयोजित संक्षिप्त सम्मान समारोह में संस्कार भारती द्वारा मुख्यअतिथि श्री पी.सीकिशन का माल्यार्पण व शॉल ओढाकर वरिष्ठ चित्रकारों द्वारा व विशिष्ट अतिथि श्रीमती विमला डुंकवाल का माल्यार्पण श्रीमती सुलोचना गोठवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ चित्रकार श्री मुरली मनोहरन माथुर, साहित्यकार राजेन्द्र स्वर्णकार, चित्रकार उमाशंकर परिहार, पेन्टरधर्मा,रामभादाणी आदि उपस्थित रहे। संस्था के अध्यक्ष श्री मुनीन्द्र प्रकाशन अग्निहोत्री ने संस्था परिचय कराते हुए सभी अतिथियों का परिचय देते हुए कहा कि यह संस्था 1991 में लखनुऊ से प्रारम्भ होकर आज देशभर में छोटीबड़ी 4000 ईकाईयों के साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष में भारतीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में क्रियाशील है।
बीकानेर में काफी लम्बे अंतराल के सुदर्शना कलादीर्घा में पश्चात पुनः संस्कार भारती की नई कार्यकारिणी द्वारा यह प्रथम बार संयुक्त चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है जिसकी मांग काफी सयम से थी। मुख्यअतिथि श्री पी.सी.किशन ने बीकानेर में कला के उज्जवल पक्ष को सराहा परन्तु मार्केट के अभाव में श्रेष्ठत्तम कलाकारों की कलाकृतियों के खरीददारों की कमी है, जबकि यहां भी श्रेष्ठ चित्रकारों की मोजूदगी यह प्रदर्शनी दर्शाती है। संस्कार भारती योजनाबद्ध ढंग से आमजन को कला से जोड़ते हुए यदि बीकानेर को एक कलामार्केट बनाएं तो सभी कलाकारों को अवसर व प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने इस सुदर्शना आर्टगैलरी को डेकारेटिव बनाने एवं रंगमंच में प्रस्तावित आर्ट गैलरी को अन्तिम रूप देने तक लगातार प्रयास करने हेतु कलासंस्थाओं एव कलाकारों को संयुक्त प्रयास हेतु आह्वान किया।

गोठवाल ने संस्था को दिया आर्थिक सहयोग

प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय परिसर में कलाशिक्षकों द्वारा बनाई जा रही पेन्टिंग का जिक्र करते हुए वहां पर भी चित्रकारों को अपनी कृति बनाने के लिए आमंत्रित किया। विशिष्ट अतिथि श्री विमला डुंकवाल ने भी इसे अदृभुत बताते हुए आयोजकों के प्रयासों को सराहा। ऐसे आयोजनों से चित्रकारों का सम्बल मिलता हैं तथा नये चित्रकारो को प्रेरणा। उन्होंने संस्था को आर्थिक सहयोग देते हुए इस तरह के आयोजनों में निरन्तर सहयोग देने की बात भी कही। डॉ.सीताराम गोठवाल ने संस्था को आर्थिक सहयोग दिया।

कार्यक्रम के मुख्यसंयोजक जसवन्तसिंह ने प्रदर्शनी की योजना एवं उदेश्यों के बारे में जानकारी दी तथा सहसंयोजक उमाशंकर स्वामी एवं सदस्यों के प्रदर्शनी लगाने में सहयोग देने पर आभार जताया जिनके कारण आयोजन सफल संचालन किया जा सका। अन्त में संस्था के महासचिव नारायण आसेरी ने ऐसे आयोजन करते रहने हेतु संस्था के सदस्य बनकर कार्यक्रमों सहयोग करने के लिए कहा ताकि ऐसे केवल चित्रकला ही नहीं संस्कार भारती अपनी छ वार्षिक उत्सवों के साथ साथ सभी विघाओं (साहित्य, रंगमंच,संगीत व लोककला) के भी ऐसे वार्पिक आयोजन करती रहे। श्री आसेरी ने अतिथियों के अपने बहुमुल्य समय निकालकर पधारने तथा मार्गदर्शन करने तथा उत्साह बढाने के लिए आभार व धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही चित्रकारों एवं कार्यकत्ताओं को तथा विज्ञापन दाताओं को आयोजन में सार्थक एवं सकारात्मक सहयोग के लिए सभी तहेदिल से आभार जताया।