– आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री

जयपुर, 24 फरवरी। आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि एसडीआरएफ र्नोम्स के अनुसार 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराबा होने पर ही किसानों को मुआवजा दिया जाता है।

मास्टर मेघवाल प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदेश में दिसंबर 2019 में हुई ओलावृष्टि में 7 जनवरी 2020 को गिरदावरी कराई गई तथा उस आधार पर 7 जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है, जिसमें से 6 जिलों में 33 प्रतिशत से कम फसल खराबा हुआ है तथा जोधपुर जिले के 13 गांवों में 33 प्रतिशत से अधिक खराबा हुआ है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ नॉम्र्स के मुताबिक 33 प्रतिशत से कम फसल खराबे पर किसानों का मुआवजा नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि जोधपुर जिलें के 13 गावों में 2 हजार 246 किसान प्रभावित हुए हैं जिनकी बैंक खाते की जानकारी अभी तक जिला कलेक्टर के माध्यम से विभाग को नहीं मिली है, जैसे ही यह जानकारी आ जाएगी विभाग 2- 3 दिन में अनुदान की राशि उनके खाते में डाल देंगे।

आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री ने बताया कि वर्तमान में गिरदावरी चल रही है तथा 5 मार्च तक यह गिरदावरी चलेगी, अगर इसमें कलेक्टर को कहीं भी 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराबे की जानकारी प्राप्त होती है तो प्रभावित काश्तकारों को मुआवजा देकर राहत प्रदान की जाएगी।

इससे पहले विधायक श्री सतीश पूनियां के मूल प्रश्न के जवाब में मास्टर मेघवाल ने बताया कि प्रारम्भिक आंकलन में दिसम्बर, 2019 में हुई ओलावृष्टि से 07 जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान होने की सूचना प्राप्त हुई है, जिनमें विशेष गिरदावरी भी करवाई गई है। जिला जोधपुर से प्राप्त गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर 13 गांवों के 2 हजार 246 काश्तकार प्रभावित हुए हैं। अन्य 6 जिलों में एसडीआरएफ र्नोम्स के अनुसार 33 प्रतिशत से कम फसल खराबा हुआ है। रबी फसल की नियमित गिरदावरी का कार्य प्रक्रियाधीन है। गिरदावरी रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरान्त ही वास्तविक आंकलन की स्थिति ज्ञात हो पायेगी।

उन्होंने बताया कि प्रभावित किसानों की सूचियां डीएमआईएस पोर्टल पर जिले द्वारा अपलोड करने के पश्चात कृषि आदान अनुदान भुगतान की कार्यवाही की जावेगी। उन्होंने बताया कि मौसम विभाग द्वारा प्रसारित मौसम की चेतावनी को जिलों को प्रेषित किया जाता है, जो प्रेस मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से किसानों की जानकारी में लाई जाती है।