– शत्रुघ्न शर्मा – 90 के दशक में देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ रहा था। देश के हर गांव गली मोहल्लों में भगवान राम के प्रस्तावित राम मंदिर की डिजाइन वाला पोस्टर दिख जाता था जिसमें हाथ में धनुष बाण लिए भगवान राम उग्र स्वरूप में नजर आते थे। करीब तीन दशक बाद अब आंदोलन व राममंदिर निर्माण का सपना पूरा होने जा रहा है। पोस्टर का मॉडल भी गुजरात के प्रख्यात मंदिर शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने बनाया था और अब अयोध्या में बनने जा रहे हैं भव्य राम मंदिर का डिजाइन भी वही तैयार कर रहे हैं। ये मंदिर प्रस्तावित राम मंदिर जैसा ही है लेकिन अब उसमें 5 मंडप होंगे। दरअसल सोमपुरा को यह काम 1989 में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने दिल्ली में एक मुलाकात के बाद सौंपा था। सोमपुरा परिवार पीढीयों से मंदिर निर्माण के काम से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करने का श्रेय उनके पिता पद्मश्री प्रभा शंकर सोमपुरा को जाता है। उनके प्रपौत्र निखिल सोमपुरा व आशीष सोमपुरा अब मंदिर की स्थापत्य कला को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रभा शंकर सोमपुरा ने मंदिर निर्माण पर 14 पुस्तकें भी लिखी है। आशीष सोनपुरा बताते हैं कि राममंदिर का निर्माण नागर शैली की स्थापत्य कला से ही होगा। उत्तर भारत में नागर शैली में बने मंदिरों का ही चलन है। जबकि दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली से मंदिर बनाए जाते हैं। राम मंदिर में दर्शन करने आने वालों की संख्या को देखते हुए मंदिर के आकार को बढ़ाना पड़ा। पहले राम मंदिर तीन मंडप के साथ बनने वाला था लेकिन अब 5 मंडप के साथ बनाया जाएगा मंदिर की चौड़ाई 235 फीट होगी लंबाई 360 फीट रखी जाएगी। यह आकार बढ़ने के कारण अब मंदिर की ऊंचाई को भी 141 फीट से 161 फीट किया गया है।

आशीष सोमपुरा ने बताया कि पहले मंदिर के निर्माण में 2.43 लाख घन फीट पत्थर लगने वाला था लेकिन अब आकार ऊंचाई बढ़ने से 3 .75 लाख घन फीट पत्थर लगेगा। यह अष्टकोणीय डिजाइन में बनेगा। तीन मंजिल का समूचा मंदिर 318 स्तंभों पर टिका होगा। मंदिर में 24 दरवाजे होंगे। गर्भ ग्रह के आगे गुढ मंडप होगा उसके आगे नृत्य मंडप तथा रंग मंडप होगा। प्रथम तल पर भव्य राम दरबार सजेगा जिसमें भगवान राम के साथ सीता लक्ष्मण व हनुमान की प्रतिमाएं होंगी। निखिल सोमपुरा बताते हैं कि मंदिर के निर्माण में बदलाव दर्शनार्थियों की संख्या को देखते हुए किया गया है। करीब 20 एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर में दर्शन करने वालों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा गया है। 1 लाख लोग एक बार में इस परिसर में समा सकेंगे। अयोध्या का राम मंदिर अपने आप में दुनिया का एक अनूठा व दिव्य मंदिर होगा। इसका निर्माण राजस्थान भरतपुर के पत्थर व मकराना के मार्बल पत्थरों से होगा। इन पत्थरों की खासियत यह है कि यह धूप पानी को सालों तक सहन कर सकते हैं, यह पत्थर धूप में चिटकते नहीं हैं। निखिल का मानना है कि मंदिर निर्माण पर करीब एक सौ करोड़ रुपए की लागत आएगी, और यह लगभग 36 माह में बनकर तैयार होगा। इसके बाद मंदिर की देखरेख का काम भी सोमपुरा परिवार ही करेगा। सोमपुरा परिवार ने देश व दुनिया में अब तक डेढ़ सौ से अधिक मंदिर बनवाए हैं। इनमें अमेरिका में बना स्वामीनारायण मंदिर, गांधीनगर का स्वामीनारायण मंदिर, ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर आदि प्रमुख हैं।

👉🏻 राम मंदिर की चौड़ाई 235 फीट व लंबाई 360 फीट होगी। यह आकार बढ़ने के कारण अब मंदिर की ऊंचाई को भी 141 फीट से 161 फीट किया गया है। आशीष सोमपुरा ने बताया कि पहले मंदिर के निर्माण में 2.43 लाख घन फीट पत्थर लगने वाला था लेकिन अब आकार ऊंचाई बढ़ने से 3.75 लाख घन फीट पत्थर लगेगा। पत्थरों को आपस में कॉपर से क्लेम्प किया जाएगा तथा सीमेंट से जोड़ा जाएगा। यह अष्टकोणीय डिजाइन में बनेगा। तीन मंजिल का समूचा मंदिर 318 स्तंभों पर टिका होगा। एक तल पर 106 खंभे होंगे। निचले तल में गर्भ ग्रह में रामलला होंगे, उसके आगे गूढ मंडप, नृत्य मंडप व रंगमंडप होगा। गर्भ ग्रह के अगल बगल में कीर्तन व प्रार्थना मंडप होगा। लार्सन एंड टूब्रो मंदिर निर्माण का काम देख रहा है जो पूरी तरह भूकंप रोधी होगा।
👉🏻 मंदिर का प्लेटफार्म पत्थर की सिलाओ से बना होगा जिसकी ऊंचाई 12 से 14 सीट होगी आने जाने के लिए 16_16 फीट चौड़ाई वाली पीढ़ियां हों गी।
👉🏻 मंदिर के तीसरे तल में लोगों की आवाजाही नहीं होगी। वह केवल मंदिर की ऊंचाई बढ़ाने के लिए ही बनाया गया है। उत्तर भारत में नागर शैली के ही मंदिर होते हैं। जो हिमालय से विंध्य पर्वत के बीच हैं। ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर अंबाजी मंदिर दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भी नागर शैली में ही बना है। केदारनाथ सोमनाथ मंदिर पत्थरों की बड़ी शिलाओं के ऊपर बने हैं। भूकंप से भी ये मंदिर सुरक्षित होते हैं। सोमपुरा परिवार को इस बात की खुशी है कि ऐतिहासिक सोमनाथ और अयोध्या मंदिर का निर्माण में उनके परिवार का योगदान है। ये मंदिरों में ही यह समानता भी है कि इन्हें आक्रांता ओं ने तोड़ दिया था।