-एसीबी की मेहनत रंग लाई

जयपुर।दोसा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आईपीएस श्री मनीष अग्रवाल आज एसीबी रिश्वत प्रकरण में गिरफ्तार हुए

मुख्यमंत्री गहलोत की सरकार में यह पहला मौका है जब एक आईएएस व एक आईपीएस को एसीबी ने रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया है

मुख्यमंत्री ने एसीबी को फ्री हैंड कर रखा है इस कारण एसीबी डीजीपी बी एल सोनी जी व एडीजीपी दिनेश जी एनम पूरी लगन से अपनी टीम के साथ रोजाना करेप्शन में लिप्त अफसरो व कार्मिको की धरपक्कड़ कर रहे है ।

दौसा में हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी से दलाल के माध्यम से 38 लाख रुपए की घूस मांगने वाले तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। 13 जनवरी को दलाल नीरज मीणा के पकड़े जाने के बाद एसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। वहीं, घूस मांगने वाले दौसा-बांदीकुईं के एसडीएम पहले ही सस्पेंड हो चुके हैं। जांच में सामने आया था कि दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल के नाम पर हाइवे का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों को धमकाकर रिश्वत ले रहा था। जिसने दलाल नीरज मीणा द्वारा कंपनी के काम में रुकावट नहीं डालने और वाहनों को जब्त नहीं करने की एवज में हर माह 4 लाख रुपए लिए जा रहे थे। साथ ही केसों को रफा-दफा करने के एवज में 10 लाख रुपए मांगे थे। यह भी पता चला है कि नीरज पिछले 7 महीने से 4 लाख रुपए ले रहा था। यानी वह अब तक कंपनी से 28 लाख रुपए ले चुका है। जबकि 10 लाख रुपए पहले लिया था। यानी दलाल 38 लाख की रिश्वत ले चुका है। एसीबी ने दलाल को गिरफ्तार कर लिया है

पहली पोस्टिंग से ही विवादों में रहे

एसपी अग्रवाल का जम्मू कश्मीर कैडर था। उन्होंने राजस्थान कैडर की आईपीएस से शादी की। कैडर बदला तो आईपीएस पत्नी से तलाक हाे गया। फिर आईपीएस मनीष ने दूसरी शादी कर ली।एसपी के रूप में मनीष को पहली पोस्टिंग वर्ष 2018 में बाड़मेर में हुई। जॉइन करते ही विवादों में आ गए। महज 3 माह बाद ही उन्हें एपीओ करना पड़ा।दूसरी बार छह जुलाई 2020 को दौसा जिले का एसपी बनाया गया। यहां भी जॉइन करते ही विवादों में आ गए। दुष्कर्म के मामले में एफआर लगाने की एवज में 25 लाख रु. की रिश्वत मांगी तो शिकायत सीएम से हुई। जांच पुलिस मुख्यालय विजिलेंस विंग कर रही है।आचार संहिता लगने के बाद बिना पुलिस मुख्यालय की अनुमति के दौसा के थाना प्रभारियों को बदल दिया। विवादों में आने के बाद रेंज आईजी ने इन तबादलों को निरस्त किया, लेकिन एसपी की ओर से तबादले निरस्त नहीं करने के ऑर्डर जारी नहीं किए। तत्कालीन डीजी भूपेन्द्र सिंह के दखल के बाद तबादले निरस्त किए।