बीकानेर। शिक्षक दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथी 92.7 बिग एफ.एम. के आर.जे. रोहित व 94.3 माई एफ.एम. के आर.जे. मयूर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी.एल.बिश्नोई ने की। इस कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत मुख्य अतिथियों, संस्था के संस्थापक महोदय श्री ज्ञान प्रकाश बिश्नोई एवं प्राचार्य डॉ. बी.एल. बिश्नोई ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित करके की। मुख्य अतिथ्ीियों, संस्था के संस्थापक श्री ज्ञान प्रकाश बिश्नोई एवं प्राचार्य डॉ. बी.एल. बिश्नोई ने डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण किया। छात्र-छात्राओं द्वारा महाविद्यालय के प्राचार्य सहित अतिथियों व अन्य व्याख्याताओ का साफा पहनाकर व तिलक लगाकर अभिनदंन किया गया। प्राचार्य डॉ. बी.एल. बिश्नोई ने इस अवसर डॉ. राधाकृष्णन की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए शिक्षक दिवस की महत्वता के बारे में बताया। उन्होंने शिष्य व गुरू के बीच सूक्ष्म विभेद के बारे में बताया। उन्होंने छात्रों को विश्वास दिलाया कि वे हमेशा छात्रों की समस्याओं को सुलझाने हेतु तत्पर रहेंगे। इस अवसर पर उन्होंने समस्त स्टाफ को शुभकामनायें व छात्रों को आर्शीवाद दिया।
संस्था के संस्थापक महोदय श्री ज्ञान प्रकाश बिश्नोई ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. राधाकृष्णन एवं डॉ. जाकिर हुसैन जैसे अच्छे शिक्षक की बदौलत आज भी हमारा भारत महान है और आगे भी आप ऐसे उच्च चरित्र आदर्श पुरूषों के पथ पर चलकर हमारे राष्ट्र को विश्व पथ पर गौरवान्वित करेंगे ऐसा मेरा शुभाशीष है।
व्याख्याता व पूर्व न्यायाधीश श्री देवेन्द्र सिंह भाटी ने कहा कि छात्र सभ्य राष्ट्र के निर्माण की नींव होते है और इस नींव को मजबूत होना अति आवश्यक है। इसके लिए हम सबका ये नैतिक दायित्व है कि हम महापुरूषों के आदर्शो को अपनाकर अपना व अपने देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करें। व्याख्याता डॉ. सीता राम ने बताया कि हमारे जीवन में प्रथम गुरू हमारे माता पिता होते है जो हमारा पालन पोषण करते है। सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरूआती आवश्यकताओं को सिखाते है। जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत चलता रहे इसके लिए हमें शिक्षक की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण शिक्षक द्वारा ही होता है। व्याख्याता डॉ. इकबाल अहमद उस्ता ने अपने सम्बोधन में कहा कि गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु: गुरूदेव महेशवर: गुरू साक्षात्पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नम: अर्थात गुरू ही ब्रह्मा गुरू ही विष्णु है, और गुरू ही भगवान शंकर है। गुरू ही साक्षात पर ब्रह्म है। ऐसे गुरूओं को मै प्रणाम करता हूॅ। गुरू हमारे जीवन में प्रकाश लाते हैं तथा हमारे जीवन में परिर्वतन करते है। उन्होंने सबसे बड़ा दान विद्या दान को बतलाया।
व्याख्याता श्री विद्याधर कुमार ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय परम्परा में शिक्षक को ब्रह्म कहा गया है क्योकि जिस प्रकार ब्रह्मा जीव का सर्जन करते है ठीक उसी प्रकार शिक्षक शिष्य का सर्जन करते है। गुरू चरणों में शिष्यों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
व्याख्याता श्री अशोक करनानी ने बताया कि शिक्षक की महिमा अपरंपार है। शिक्षक के बिना ज्ञान प्राप्ति संभव नही है। मानव जीवन में व्याप्त बुराई रूपी विष को दूर करने के लिए शिक्षक का विशेष योगदान है। शिक्षक शिष्य का संबंध सेतु के समान होता है। शिक्षक की कृपा से शिष्य के लक्ष्य का मार्ग आसान होता है।
पुस्तकालयाघ्यक्ष श्री रतन लाल ने कहा कि शिक्षक की महिमा को शब्दो में नहीं बताया जा सकता उसकी महिमा अपरंपार है। सब धरती कागज करूं, लेखनी सब वनराज सात समुन्द्र की मसि करूं, गुरू गुण लिखा ना जाये। उन्होने कहा कि चन्द्र गुप्त मौर्य, कबीर, शिवाजी, विवेकानन्द, ने जिन उचांईयों को छुआ उन्होने उनके शिक्षकों का बहुत बड़ा हाथ था।
पूर्णतया छात्रों द्वारा शिक्षको के सम्मान में आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षको के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस मंच का संचालन ऋतिका जाग्दमनय व लॉक्पा दोर्जे तमांग ने किया।
कार्यक्रम की आयोजन सचिव मनिषा आर्य ने अतिथियों व शिक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कहा कि मां के बाद शिक्षक की हमारा सच्चा हितेषी होता है जो हमें सही राह दिखाता है। हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि शिक्षकों द्वारा बताये गये मार्ग पर चलें। छात्र श्री हेमन्द यादव, राकेश बिश्नोई, भागीरथ, मयूर, मोहन सिंह राव, अभिषेक व छात्रा सुरभि बिश्नोई, प्रिया सोनी, निशा मालू ने भी अपने विचार वयक्त किये। कार्यक्रम के अन्त में छात्र-छात्राओं द्वारा अतिथियों, सचिव महोदय, प्राचार्य सहित अन्य व्याख्याताओं को स्मृति चिन्ह भेट किये गये। इस अवसर पर प्रबन्ध समिति के सचिव श्री ज्ञान प्रकाश बिश्नोई ने मुख्य अतिथि व छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।(PB)