बीकानेर। साहित्य की सभा विधाओं में सतत् सृजनशील वरिष्ठ साहित्यकार-रंगकर्मी एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली से पुरस्कृत लक्ष्मीनारायण रंगा असल में हमारी ऋषि परम्परा के संवाहक तो हैं ही साथ ही कई पीढिय़ों के मार्गदर्शक भी हैं। उनकी सृजनात्मक गतिशीलता नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। ये उद्गार लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 नवप्रकाशित पुस्तकों के जन पाठक अर्पण समारोह के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन देव चारण ने व्यक्त किया। लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्ष चारण ने कहा कि साहित्य क्षेत्र के पुरोधा लक्ष्मीनारायण रंगा ने नाटक, काव्य, गीत, बाल कथाएं, लोक कथाएं आदि में इतना लिखा है जिसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। सही मायनों में ऋषि परम्परा के संवाहक हैं लक्ष्मीनारायण रंगा। लोकार्पण अवसर पर भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि बीकानेर का रंगकर्म शताब्दी वर्ष चल रहा है। 100 वर्ष पहले बीकानेर में नाटक मंचन की शुरुआत हुई थी और इस ऐतिहासिक अवसर पर रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण होना और भी गौरव की बात है। पीढिय़ों के मार्गदर्शक के रूप में रंगा ने लेखन के हर बिन्दुओं पर भरपूर लिखा है। टैस्सीटोरी, विवेकानन्द पर प्रेरणादायी तथा माँ व पिता पर इतना मार्मिक लिखा गया है कि जिसे पढ़कर व्यक्ति निश्चित तौर पर भावुक हो जाए। 107 से अधिक बोध कथाएं लिख कर रंगा ने अनूठा कार्य किया है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि युवा लेखक हो या वरिष्ठ लेखक साहित्यकार रंगाजी का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहता है। 85 वर्ष की उम्र में भी अनवरत लिखना और वो भी उत्साह के साथ लिखना बहुत बड़ी बात है। रंगा ने उम्र को लेखन पर हावी नहीं होने दिया। विभिन्न विधाओं में लेखन लक्ष्मीनारायण रंगा की ही विशेषता है। साहित्य के साथ-साथ रंगा ने कई नाटकों में अभिनय भी किया है। डॉ. बृजरतन जोशी ने कहा कि रंगकर्मी रंगा के लेखन का मिजाज, अंदाज और प्रस्तुति इन पुस्तकों में दिखाई देती है। हिन्दी व राजस्थानी में लिखी गई पुस्तकें सात्विक और स्वतंत्रता के बोध को दर्शाता है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण कमल रंगा ने प्रस्तुत किया तथा लक्ष्मीनारायण रंगा व कासिम बीकानेरी ने आगन्तुकों का आभार जताया।
इन 11 पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
वरिष्ठ रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण रंगा की 11 नव प्रकाशित पुस्तकें सदियों का सूरज, दर्द की सतहों पर, आज का एकलव्य, टुकड़ा-टुकड़ा चेहरा, बूंद-लहर-समन्दर, आदमी की नीलामी, सदियां री पीड़, रचे मौत इतिहास, राजस्थानी के अमर साधक डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी, योद्धा संन्यासी तथा चैटिंग कर्यो न कोय का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट प्रतिभा के लिए पत्रकार पवन भोजक का सम्मान भी किया गया।
11 पाठकों को सुद्धि पाठक सम्मान
लोकार्पण अवसर पर मंचस्थ अतिथियों द्वारा 11 सुद्धि पाठकों वसुंधरा आचार्य, गौरीशंकर जोशी, मुस्कान पंवार, साक्षी पूरी, चिरायु तंवर, नंदगोपाल पुरोहित, राधिका शर्मा, मोहित आचार्य, जागृति भोजक, आनन्द पुरोहित तथा शुभम सुथार का सम्मान किया गया।
यह रहे उपस्थित डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य, विद्यासागर आचार्य, डॉ. मेघराज शर्मा, डॉ. एस.एन. हर्ष, डॉ. राजेन्द्र जोशी, नगेन्द्र किराड़ू, नगेन्द्र पुरोहित, आनन्द वी. आचार्य, हरीश बी. शर्मा, डॉ. भंवर भादाणी, मदन सैनी, चंचला पाठक, प्रमिला गंगल, बसंती हर्ष, संजू श्रीमाली, शीला व्यास, विभा रंगा, सुषमा रंगा, प्रियंका व्यास, विजयलक्ष्मी व्यास, मोहन थानवी, डॉ. अजय जोशी, नीरज दइया, राजाराम स्वर्णकार, पुखराज सोलंकी, मदनमोहन व्यास, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, भवानी सिंह, आशाराम शर्मा, गिरिराज पारीक, माजिद ख़ान ग़ौरी, पुखराज सोलंकी, डॉ. अजय जोशी, डॉ. शिवाजी आहूजा, विमला व्यास, कृष्णा आचार्य, निकिता रंगा, संगीता शर्मा, डॉ. मंजू कच्छावा, मधुबाला शर्मा, बुनियाद हुसैन ज़ाकिर, मुनिंद्र अग्निहोत्री, निर्मल शर्मा, आत्माराम भाटी, दामोदर तंवर, प्रताप सिंह, विक्रम सिंह, महावीर स्वामी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ज्योति रंगा ने किया।
इन संस्थाओं ने किया रंगा का सम्मान
नालन्दा शाला परिवार, बुनियाद, रंगाज फिजिकल इंस्टीट्यूट, शान्ति प्रतिष्ठान से डॉ. पी.सी. तातेड़, करुणा इंटरनेशनल से जतन दूगड़, नेमीचन्द गहलोत, शिवरंजनी तथा उपस्थित जनों ने माल्यार्पण कर वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा को सम्मानित किया गया।(PB)