नोखा। कुलरिया के द्वारा गो नवरात्रा के पावन अवसर पर आयोजित नौ दिवसीय राम कथा महोत्सव के पांचवें दिवस में व्यास पीठ पर संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा किस संत का श्राप भी वरदान हो जाता है ऐसे में यदि संत आशीर्वाद दे दे तो या नहीं हो सकता है यह बात उन्होंने अहिल्या उद्धार के प्रसंग के संबंध में कहीं । उन्होंने कहा कि अहिल्या भगवान राम के चरण रस छिपाकर जीवित हुई तब उन्होंने कहा गौतम ऋषि के श्राप के कारण ही मुझे आप के दर्शन करने का मौका मिला है मैं आज भगवान शंकर के बराबर धन्य हो गई जो अपनी आंखों से आपके दर्शन पा रही हूं परिप्रेक्ष में महाराज ने कहा संत का श्राप भी वरदान बन जाता है । कथा के आरंभ में गौभक्त भी पदमाराम जी कुलरिया, श्री उगमाराम जी, श्री देवकिशन जी, श्री मगाराम जी, श्री भंवर जी, श्री कानाराम जी, श्री शंकर जी, श्री धर्मचंद जी आदि ने परिवार सहित मानस जी का पूजन किया।
पांचवें दिवस की कथाओं को आरंभ करते हुए संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने चारों भाइयों के नामकरण को विस्तार से श्रोताओं के समक्ष रखा और भगवान शंकर द्वारा छद्म वेश धारण करके भगवान राम के दर्शन करने के प्रसंग को बड़े रोचक तरीके से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया इसके पश्चात विश्वामित्र जी के द्वारा भगवान राम और लक्ष्मण जी को यज्ञ की रक्षा हेतु ले जाने हेतु अयोध्या आने के प्रसंग सुनाया और जैसे ही विश्वामित्र जी ने राजा दशरथ जी से राम और लक्ष्मण की मांग की उसी समय राजा दशरथ बोले हे मुनि आपको मांगते समय ध्यान रखना चाहिए आप मांगे तो आपको मैं भूमि, धन, गाय, मेरा पूरा साम्राज्य और यहां तक कि मेरे प्राण भी आपको दे सकता हूं लेकिन राम को नहीं दे सकता लेकिन विश्वामित्र जी ने भी यही दोहराया कि मुझे इनमें से कुछ नहीं चाहिए मुझे केवल राम चाहिए इस बात को आधार बनाकर मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि हमारी संस्कृति कितनी खूबसूरत थी कि उस समय एक राजा को भी राम चाहिए और एक साधु को भी राम चाहिए इसके विपरीत आज के समय में एक राजा को भी राम के नाम पर राज्य चाहिए और एक साधु को राम के नाम पर धन चाहिए इसके बारे में हमें जरूर विचार करना चाहिए, इसके पश्चात राम और लक्ष्मण के द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने अहिल्या उद्धार के प्रसंग को संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने बड़े मार्मिक तरीके से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया और इस अवसर पर गाया भजन ‘अनमोल तेरा जीवन यूं ही जा रहा….. हैÓ श्रोताओं को भाव विभोर कर गया आज की कथा के दौरान तारातरा मठ बाड़मेर के मठाधीश महंत श्री प्रताप पुरी जी महाराज पधारे जिनका गोसेवी श्री पदमाराम जी कुलरिया परिवार के द्वारा अभिनंदन किया गया और राम कथा को संबोधित करते हुए प्रताप पुरी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन भगवान की फैट्री से बना हुआ सबसे टॉप मॉडल है जिसका रख रखाव की संपूर्ण जिमेदारी हमारी है यदि जिन बातों को ध्यान में रखने का कहकर भगवान ने हमें दुनिया में भेजा है यदि हम उन बातों का ध्यान नहीं रखेंगे तो हमें दोबारा यह टॉप मॉडल मिलने वाला नहीं है ।
इसका ड्राइवर भी ऐसा होना चाहिए जो हमें गंतव्य तक ले जाएं इसके लिए गुरु की आवश्यकता होती है इसलिए यह जीवन बड़ा अनमोल है हम सत्संग और भजन के माध्यम से ही इस जीवन को पार लगा सकते हैं और वर्तमान में कुलरिया परिवार के द्वारा आयोजित रामकथा में यह सत्संग का माहौल मुझे नजर आ रहा है यहां आने से मुझे उर्जा मिली है मैं कुलरिया परिवार को एक ही परिवार के द्वारा इतने बड़े आयोजन हेतु मेरी ओर से बधाई देता हूं राम कथा के अंत में श्री पदमाराम कुलरिया उगमाराम जी, देवाकिशन जी, मगाराम जी, भंवर जी, कानाराम जी, शंकर जी और धर्म चंद जी कुलरिया ने भगवान की आरती की और राम कथा में पधारे हुए परम पूज्य संत राम रतन जी महाराज जयपुर और परम पूज्य रामायणी जी महाराज जयपुर का भी अभिनंदन किया गया, बाहर से पधारे हुए मेहमानों का भी समान किया।
मनुष्य जीवन श्रेष्ठ है-महंत प्रताप पुरी
पदम पैलेस के अवध धाम की पावन धरा पर बुधवार को श्रीराम कथा के पांचवें दिवस पर संतों के पदार्पण की श्रंृखला में बुधवार को बाड़मेर से पधारे मंहत प्रताप पुरी जी महाराज ने कहा कि 84 लाख योनियों में मनुष्य योनी सर्वश्रेष्ठ है। उन्होने कहा कि अच्छे कर्र्माें के कारण जिसमें पिछले जन्मों में दान, सेवा, तप, भजन करने से ही मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। पूरीजी ने कहा कि जहां साधना होती है वो तपो भूमि बन जाती है। उन्होंने कहा कि पदमाराम कुलरिया की इस पावन धरा पर इस श्रीराम कथा के भव्य आयोजन से यह भूमि भी पवित्र हो गई है। रामचरित मानस का किया पूजन बुधवार को कथा प्रारभ से पूर्व रामचरित मानस का पूजन गौसेवी पदमाराम कुलरिया, उगमाराम, देवाराम, मघाराम, कानाराम, भंवरलाल, शंकर,धर्म, सुरेश, नरेश, पुखराज, मोहनलाल, मोटाराम, मूलाराम, पुष्पा, लक्ष्मी व मुन्नी आदि के साथ कुलरिया परिवार के सदस्यों रामचरित मानस का पूजन किया।
इन संतों का हुआ स्वागत सीलवा में श्रीराम कथा के पांचवे दिन मंगलवार को बाड़मेर से पधारे मंहत प्रताप पूरी जी महाराज तारातरा मठ, जयपुर से पधारे रामरतनदास जी महाराज व राममायणी बाबा जयपुर इनके अलावा बृजबिहारी दास सुजानगढ़, मनसागिरी जी महाराज के अन्य संतो को शॉल ऑढ़ाकर गौसेवी पदमाराम कुलरिया, देवाराम, उगमाराम, मघाराम, भंवरलाल, कानाराम, शंकरलाल व धर्म कुलरिया ने शॉल ओढ़ाकर कर स्वागत किया।
दूर दराज क्षेत्र से पहँुच रहे हैं अतिथि कथा में लगातार दूर दराज क्षेत्र के कई गणमान्य कथा का लाभ लेने पंहुच रहे है। इन अतिथियों को संत मुरलीधर महाराज ने दुपटा पहनाकर समान किया जिसमें नेपाल काठमांडू से आए ओमप्रकाश जोशी, बाबूलाल लाहोटी, ईश्वरराम, पूनम जांगीड़, ओमजी, रामचंद्र जांगीड़, शांभा सुथार, मुकेश जांगीड़, चांदरतन, मांगीलाल मांगड़, धन्नाराम बीदासर, रामकरण आसदेव, ओमप्रकाश, शंकरलाल, राधाकिसन, शुशील, किशनलाल धामू, राकेश जांगीड़ तारानगर, रमेश जांगीड़ सहित दूर दराज से आए अतिथिगण उपस्थित रहे। नेपाल के काठमांडू ब्राह्मण समाज के ओमप्रकाश जोशी ने गौसेवी पदमाराम कुलरिया का समान करते हुए उन्हें पशुपतिनाथ मंदिर का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। कथा के दौरान मंच संचालन जोधपुर के चंदनसिंह राजपुरोहित कर रहे है।(PB)