बीकानेर । मुक्ति संस्था, बीकानेर के तत्वावधान में पांचवा कहानी पाठ का  आयोजन रविवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के सभागार में  किया गया। कहानी पाठ कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बसंती हर्ष ने की । रविवार  को हुए कहानी पाठ के आयोजन में हिन्दी एवं राजस्थानी की दो प्रतिष्ठित महिला रचनाकारों ने कहानी पाठ किया। कथाकार ऋतु शर्मा ने  हिन्दी कहानी “टीस”  एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुधा आचार्य  ने  राजस्थानी कहानी “रमण”  का वाचन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुक्ति संस्था के सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि कहानी का लोक में महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन आज कहानी जन साधारण के बीच अपना वजूद कम करती हुई किताबों में सिमटकर रह गयी है जोशी ने कहा कि प्रयोगवाद की प्रयोगशाला बनकर कहानी लोक से भटक रही है ।

उन्होंने कहा कि साहित्य की सशक्त विधा को लोक में बनाये रखने के उद्देश्य से मासिक कहानी पाठ का आयोजन किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि बात को कहने की कला ही कहानी और कहानीकार के लेखन का मूल्यांकन का आधार है । जोशी ने आज के कथाकारों को कहा कि वह वायवीय शिल्प और आयातित प्रयोगों के चक्कर में न पड़े ।

इससे पूर्व जोशी ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा बतायी । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं शोधार्थी  डॉ बसंती हर्ष ने कहा कि  कहानी विषय को विस्तार देने का काम करती है उन्होंने कहा कि आज की  महिला साहित्यकार कहानी के माध्यम से बोल्ड विषयों को उठाने का जोखिम लेने  में पारंगत हैं । डॉ हर्ष ने कहा कि महिला रचनाकारों को केवल नारी चरित्र ही नहीं बल्कि पुरूष चरित्रों पर भी काम करने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि महिला साहित्यकार अपनी बात ईमानदारी से परोसती है।  रविवार को ऋतु शर्मा द्वारा  पढ़ी गयी हिन्दी कहानी टीस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कवियत्री एवं आलोचक डॉ. रेणुका व्यास ने कहा कि कथाकार  ऋतु शर्मा  की कहानी ‘टीस’ एक तरफ स्त्री मन और स्त्री मनोविज्ञान  को हमारे सामने  रखती है तो दूसरी तरफ  मानव-मन की बारीकियों  की कुछ परतें भी हमारे समक्ष  खोलती है । जीवन प्रतिपल विकासमान है ।

 

इंसान  की परिस्थितियां और उसकी जिम्मेदारियां भी समय के साथ बदलती रहती हैं । समस्या  उस समय खड़ी होती है जब हम समय के  परिवर्तनों  को स्वीकार नहीं  पाते और पुराने सुखद  पलों  के साथ चिपककर ही जीना चाहते हैं । परिवर्तन की सकारात्मकता को समझने में असफल रहने के कारण कहानी ‘टीस’ की  नायिका सुनंदा  अपने जीवन साथी  पर दोषारोपण  कर अपने आपको दुखी कर लेती है । कहानी  दाम्पत्य-जीवन की एक रसता, ऊब की समस्या  भी उठाती है । वरिष्ठ साहित्यकार सुधा आचार्य द्वारा पढ़ी गयी राजस्थानी कहानी रमण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कवयि़त्री भगवती सोनी ने कहा कि सुधा आचार्य की कहानी रमण में लोक कथा की भीनी भीनी खुशबू है तो उचित न्याय मिलने के सुखांत की मीठास भी है । अनाड़ी होने के कारण राजा द्वारा किए गए फैसले के बाद रमण की बातों से फैसले पर पुनर्विचार करना राजा की न्याय के लिए उदारता का परिचायक है । रमण की बुद्धि की प्रखरता को बहुत ही सुलभता के साथ उकेरते हुए डोकरी को न्याय दिलाना हृदय को सुकून देता है । कहानी पाठ कार्यक्रम की कहानियों पर विशेष टिप्पणी करते हुए मधु आचार्य”आशावादी” ने कहा  कि इन  कहानियों में दोहराव नहीं है कहानी का ट्रीटमेंट गजब का है । महिला रचनाकारों द्वारा कहानी कहने का तरीका भी आकर्षित करता हैं । कार्यक्रम में बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के मक्खनलाल अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योग मण्डल भविष्य में भी साहित्यक कार्यक्रमों में सक्रिय सहभागिता निभाता रहेगा ।
हमेशा की भांति नवाचार करते हुए गायत्री प्रकाशन द्वारा कार्यक्रम में सही समय पर आने वाले दस श्रोताओं को पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया गया ।कहानी पाठ कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार नवनीत पाण्डे, राजाराम स्वर्णकार, नगेन्द्र किराड़ू, मोहम्मद इरशाद,  चन्द्रशेखर जोशी, हरीश बी.शर्मा, सीमा भाटी, मांगीलाल भद्रवाल, मनोज बंसल, गिरिराज पारीक, ऋषिकुमार अग्रवाल, ज्योति वधवा ‘रंजनाÓ, गायत्री शर्मा, डॉ जगदीशदान बारहठ, एन डी रंगा, एम एल व्यास,  आत्माराम भाटी, सहित अनेक लेखक एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम के अन्त में कवि- कथाकार मोनिका गोड़ ने आभार प्रकट किया ।  कार्यक्रम का संचालन कवयित्री अल्पना हर्ष ने किया ।(PB)