बाफना अकादमी सिल्वर जुबली समारोह

बीकानेर। किसी भी संस्थान की सिल्वर जुबली मनाना गौरव की बात होती है और संस्थान की पहचान उसके कर्मचारी ही बनाते हंै। यह बात केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बाफना अकादमी की सिल्वर जुबली समारोह के अवसर पर कही। इस अवसर पर बाफना अकादमी के कार्यरत कर्मचारियों का उनके परिवार सहित सम्मान किया गया। सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम ने कहा कि पुराने मित्र व्यक्ति के व्यवहार को और पुराने कर्मचारी संस्थान की सहृदयता को दर्शाता है।
समारोह में शुभकरण बाफना, रतनलाल बाफना, हंसराज बाफना, निर्मल बाफना, निमित बाफना, निशान्त बाफना तथा मनीष बाफना मंचासीन रहे। अकादमी के सीइओ डॉ. परमजीत सिंह वोहरा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाफना अकादमी में विद्यार्थियों के शिक्षा व भविष्य निर्माण में अकादमी के टीचर्स व स्टाफ का अतुलनीय योगदान है। शिक्षक की मेहनत से ही बच्चों की नींव मजबूत होती है। डॉ. पीएस वोहरा ने आगन्तुकों का आभार जताया तथा समारोह का संचालन आरजे रजत व खुश्बू ने किया।

शिक्षक समाज के निर्माता

समारोह के दूसरे सत्र में ‘डिग्निट्रीज मीटÓ का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में प्रख्यात विद्वानों के साथ एमरजिंग इंडिया प्रोसपेक्ट एंड चैलेंजस फॉर स्कूल एज्युकेशन विषय पर राजनीति, चिकित्सा, व्यवसाय, शिक्षा, कानून व प्रशासनिक क्षेत्रों से जुड़े करीब 100 लोग उपस्थित हुए। समारोह को सम्बोधित करते हुए साहित्यकार मधु आचार्य ने कहा कि सत्ता, व्यवस्था, समाज और पाश्चात्य संस्कृति ने बालक के मन में कचरा भर दिया है, शिक्षक ही ऐसा माध्यम है जो इस कचरे को साफ कर सकता है। आचार्य ने कहा कि सेठ तोलाराम ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए इतना बड़ा भूखंड शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया। शिक्षा के मायने बदल गए हैं, तरीके बदल गए हैं पर भविष्य निर्माण की नींव शिक्षकों के हाथों में ही है। समारोह में बाफना अकादमी के ट्रस्टी निमित बाफना ने कहा कि उनके दादा एक शिक्षक थे और उनकी याद में यह स्कूल शिक्षा प्रदान करने का काम कर रही है।
शिक्षा के लिए तो अनेक स्कूलें हैं पर यहां नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यपरायण का पाठ भी सिखाया जाता है। कार्यक्रम में प्रो. पीएल सरोज ने शिक्षक, शिक्षार्थी व मैनेजमेंट को स्कूल की धूरी बताते हुए मानव मूल्यों की व्याख्या की। डॉ. ए.के. गहलोत ने कहा कि तनावमुक्त शिक्षा होनी चाहिए तथा शिक्षा के साथ बच्चों में हॉबिज के प्रति भी चाह रखने की बात कही। डॉ. एचपी व्यास ने कहा कि शिक्षा प्रेक्टिकल होनी चाहिए। किताबी ज्ञान से निकलना होगा। डिग्रियों से शिक्षा मिल सकती है लेकिन ज्ञान नहीं। व्यास ने कहा कि विद्यार्थी दबाव में नहीं बल्कि रूचि से अध्ययन करे।

स्मारिका का विमोचन

अकादमी के सीइओ डॉ. पीएस वोहरा ने बताया कि इस व्याख्यान के बाद 25 वर्ष पूर्ण होने पर अकादमी की एक स्मारिका आई एम एसटीबीए का विमोचन किया गया।  गायत्री प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में बीकानेर की करीब तीनसौ हस्तियों द्वारा दिए गए उद्गार उल्लेखित किए गए हैं।

स्कॉलरशिप की घोषणा

दो दिवसीय इस सिल्वर जुबली समारोह में कक्षा नर्सरी से 12वीं तक के टॉपर रहे 18 विद्यार्थियों का उनके अभिभावकों के साथ सम्मान किया गया। प्रेमचन्द तोलाराम बाफना चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी शुभकरण बाफना ने शाला की 25 वर्षों की शैक्षिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया तथा 2018-19 में कक्षा दसवीं व बारहवीं में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 21 हजार तथा 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 31 हजार की स्कॉलरशिप देने की घोषणा भी की।

पुराने साथियों से मिले तो खिले चेहरे

समारोह का मुख्य आकर्षण एल्युमिनी मीट में 1994 तथा अन्य बैच के 170 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।  खुशी और दोस्ताना नजर आ रहा था जब पुराने साथी एक-दूसरे से मिल रहे थे। इस एल्युमिनी मीट में कई मित्र तो ऐसे थे जिन्होंने स्कूल के बाद फिर से मुलाकात इस मीट में ही हुई। जानेमाने मैनेजमेंट गुरु डॉ. गौरव बिस्सा ने शाला परिवार को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थी शिखर पर तभी पहुंच सकेंगे जब लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वकांक्षी होंगे। बड़ी उपलब्धि हासिल करने का लक्ष्य रहना चाहिए। इनके साथ प्रसिद्ध कॉरपोर्ट ट्रेनर सुरेश मनसारमानी, टैक्स टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ऋषभ सावनसुखा तथा डॉ. संजय धीर ने ‘विश्वस्तर पर भारत के युवाओं को कैसे ले जाया जाएÓ विषय पर व्याख्यान दिया।
गजल ने बांधा समां
समारोह में मशहूर गजल गायक अनिल शर्मा ने अपनी प्रस्तुति देते हुए संगीतमयी शाम का समां बांधा। गजल गायक शर्मा ने जगजीत सिंह की गाई हुई गजलों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सेवा का हुआ सम्मान

सम्मान समारोह में 200 कर्मचारियों का सम्मान किया गया। खासियत यह रही कि कई शिक्षक 1994 शुरुआती दौर से आज भी संस्थान में बने हैं। शिक्षकों ने अपनी बात रखते हुए बताया कि अनुशासन व प्रतिष्ठा इस संस्थान से उन्हें मिली है। शिक्षिका ने कहा कि यहां जॉब नहीं एक मिशन के रूप में कार्य किया जाता है। एक शिक्षिका ने बताया कि 25 वर्षों से वो यहां कार्य कर रही हैं और रिटायरमेंट न लेकर अनवरत शिक्षा देने का कार्य जारी रखना चाहती है। सम्मान प्राप्त कर स्टाफ काफी उत्साहित नजर आया।

पधारो म्हारै देश..

संस्थान के म्यूजिक टीचर ललित रतावा ने बताया कि समारोह में विद्यार्थियों ने दो बैंड प्रस्तुतियां भी दी। जिसमें  पधारो म्हारै देश तथा दमादम मस्त कलन्दर गीत गाए गए। रतावा ने बताया कि शिक्षिका सुमन शर्मा के सान्निध्य में तैयार की गई इस गायन-वादन ग्रुप में म्यूजिक, बांसुरी, हारमोनियम आदि की प्रस्तुति 14 बच्चों द्वारा दी गई।(PB)