बीकानेर। हनुमानगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार दीनदयाल शर्मा के राजस्थानी भाषा की नवीन विधा के काव्य संग्रह ‘डांखळा वन्स अगेन’ का लोकार्पण बुधवार को सूचना केन्द्र परिसर में वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार और केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा, कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी के आतिथ्य तथा हरीश बी.शर्मा के संयोजन में हुआ।

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मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि दीन दयाल शर्मा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के पुरोधा रचनाकार है। इनकी यह 41वीं पुस्तक है। अब तक प्रकाशित हिन्दी, राजस्थानी की इन पुस्तकों में संस्कार के साथ समाज को सीख व संदेश मिलता है। सरल शब्दों में अपनी बात को कहने में शर्मा की विशिष्टता है। इसी विशिष्टता के कारण शर्मा को बाल साहित्य में श्रेष्ठ सृजन के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली ने राजस्थानी बाल साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया।

आचार्य ने कहा कि लोकार्पित कृति में राजस्थानी भाषा को अत्याधुनिक तरीके से कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। राजस्थान के लब प्रतिष्ठित 84 साहित्यकारों की साहित्यक साधना के सम्मान प्रकाशित कविताएं डांखळाÓÓ विधा में सटीक रूप से प्रस्तुत की है। चर्चित रचनाकारों में डॉ.अर्जुनदेव चारण, आईदान सिंह भाटी, कैलाश मनहर, नंद भारद्वाज, मालचंद तिवाड़ी, सवाई सिंह शेखावत, हेमंत शेष, नागराज शर्मा, जनक राज पारीक, चन्द्र सिंह बिरकाली तथा समारोह में उपस्थित रचनाकारों सहित मोहन आलोक और स्वर्गीय सांवर दइया की रचनाएं शामिल है।

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सभी रचनाकारों की फोटों के साथ कविताएं साथ प्रकाशित की गई है। बीकानेर के कलासन प्रकाशन की ओर से प्रकाशित इस 144 पेज की इस पुस्तक की साज-सज्जा व आवरण पृष्ठ पर दीनदयाल शर्मा का केरल के सुप्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार जयराज टीजी. की ओर से बनाया गया व्यंग्य चित्र अनुकरणीय है।
आचार्य ने कहा कि दीन दयाल शर्मा ने जो राजस्थानी साहित्य नयापन कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है, उससे रचनाकार प्रेरणा ले तथा राजस्थानी साहित्य की श्रीवृद्धि करने में समर्पण भाव से कार्य करें। आचार्य ने कहा कि साहित्यकार को सृजन करते वक्त आलोचना से नहीं डरना चाहिए, बल्कि क्या सृजन कर रहा है यह ध्यान रखना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि दीन दयाल शर्मा ने सतत सृजन करते हुए एक आदर्श उपस्थित किया है।

उन्होंने बाल साहित्य जैसी कठिन विधा में निरन्तर सृजन करते हुए राजस्थानी साहित्य श्रेष्ठ बाल साहित्य दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि दीन दयाल शर्मा के बाल साहित्य की सफलता का राज है, कि वे लिखते समय स्वयं बालक हो जाते है। सृजन की यही कसौटी होती है कि रचनाकार परकाया प्रवेश करते हुए रचनाकर्म करें। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए हरीश बी.शर्मा ने कहा कि डांखळा वन्स अगेन में राजस्थानी में पाश्चात्य काव्य विधा लिमिरिक का प्रभाव है।

जिसे दीन दयाल शर्मा ने आमजन तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई है। इस अवसर पर दीन दयाल शर्मा ने अपनी रचना प्रक्रिया से अवगत करवाते हुए कहा कि पाठकों, रचनाकारों के सहयोग व प्रेरणा तथा आशीर्वाद से ही वे सृजन के मुकाम को तय करते है। उन्होंने सभी अतिथियों का आभार जताया। कार्यक्रम में सुरेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने अतिथियों का स्वागत किया तथा बलदेव रंगा ने अंत में आभार व्यक्त किया।