बीकानेर। राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले भर में जनजागरूकता गतिविधियाँ आयोजित कर एंटीलार्वा गतिविधियों को आमजन के दैनिक जीवन में समाहित करने के प्रयास किए गए। शहरी व ग्रामीण अस्पतालों में डेंगू के लिए विशेष आई.ई.सी. कॉर्नर स्थापित किए गए जहाँ जागरूकता बैनर्स के अलावा मच्छरों के लार्वा और उन्हें खाने वाली गम्बुसिया मछली का प्रदर्शन किया गया। ओपीडी-आईपीडी मरीजों व उनके परिजनों को ऑडियो-विडियो व आईपीसी द्वारा डेंगू फैलाने वाले मादा एडीज एजिप्टी मच्छर की पहचान, लार्वा की पहचान, जीवन चक्र, व्यवहार, डेंगू के लक्षण, बचाव व मच्छरों की रोकथाम के उपाय बताए गए। फिर उन्हें 10 प्रश्नों की एक प्रश्नावली देकर ज्ञान को पुख्ता किया गया। घर-घर जाकर आशा-एएनएम व नर्सिंग विद्यार्थियों द्वारा एंटी लार्वा गतिविधियाँ कर सोर्स रिडक्शन किया गया।

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विशेष रूप से गठित जागरूकता दल में शामिल एक्सपर्ट डॉ. अनिल वर्मा, एपिडेमियोलोजिस्ट नीलम प्रताप सिंह, महेंद्र जायसवाल व मनोज आचार्य द्वारा मण्डा, मरुधर इंजीनियरिंग कॉलेज, एम.एन. होमियोपैथी कॉलेज, स्वामी केशवानंद फार्मेसी कॉलेज व विवेक टेक्नो स्कूल के छात्र-छात्राओं को डेंगू से बचाव व मच्छरों की रोकथाम की जानकारी दी गई।
स्वास्थ्य भवन सभागार में आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित कार्मिकों व नर्सिंग स्टाफ को संबोधित करते हुए सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने कहा कि विकसित देशों में डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियाँ लगभग समाप्त हो चुकी हैं क्योकि वहाँ स्वच्छता को जन-जन ने अपना लिया है। इन बीमारियों को रोकना आसान है और ये एक सामुहिक जिम्मेदारी है। आने वाले बरसाती मौसम में यकायक मच्छरों की तादाद ना बढ़े इसके लिए जरूरी है कि 2 माह पहले ही युद्ध स्तर पर सोर्स रिडक्शन हो जाए हालाँकि अंचल में प्री मानसून बारिशें भी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बना रही है जिससे आमजन को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इस अवसर पर डिप्टी सीएमएचओ डॉ. योगेन्द्र तनेजा, आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य, एएमओ अशोक व्यास, दिनेश श्रीमाली, महेंद्र कुमार व उमेश व्यास सहित चिकित्साकर्मी व स्टाफ उपस्थित रहे।

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घरों के आस-पास ही रहता है एडीज
डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि डेंगू के वायरस को फैलाने वाला मादा एडीज एजिप्टी मच्छर साफ पानी में अंडे देता, दिन में काटता है व रात को रौशनी वाले कमरे में भी सक्रिय रहता है। एक छोटे ढक्कन जितने पानी में भी लार्वा पनप सकते हैं इसलिए घर व आस-पास कहीं भी पानी इकठ्ठा या खड़ा न रहने दें और पूरी बाजू के कपड़े पहनें ताकि कोई भी टाइगर मच्छर का शिकार ना बने।

संक्रमित एडीज का हर अंडा है संक्रमित
डॉ. चौधरी ने बताया कि संक्रमित एडीज मच्छर का प्रत्येक अंडा संक्रमित होता है। उससे बना मच्छर डेंगू के वायरस को निश्चय ही फैलाएगा। यदि अंडा लम्बे समय तक सूखे में पड़ा रह जाए और बाद में नमी मिल जाए तो भी अंडे से लार्वा निकल कर मच्छर बन सकता है। इसलिए एंटी लार्वा गतिविधियाँ पुख्ता होनी चाहिए।

डेंगू के लक्षण
डॉ योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि डेंगू के लक्षण संक्रमण के 3 से 13 दिन बाद सामने आते हैं। डेंगू में अचानक तीव्र ज्वर होता है, जिसके साथ-साथ तेज सिर दर्द होता है, मांसपेशियों तथा जोडों मे भयानक दर्द होता है। इसके अलावा शरीर पर लाल चकते भी बन जाते है जो सबसे पहले पैरों पे फिर छाती पर तथा कभी कभी सारे शरीर पर फैल जाते है। इसके अलावा पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, कमजोरी, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, निरंतर चक्कर आना, भूख ना लगना भी लक्षण रूप मे ज्ञात है। शास्त्रीय तौर पर ये ज्वर 6-7 दिन रहता है ज्वर समाप्ति के समय फिर से कुछ समय हेतु ज्वर आता है, जब तक रोगी का तापक्रम सामान्य नहीं होता है तब तक उसके रक्त मे प्लेटलेटस की संख्या कम रहती है।

एलाइजा टेस्ट से पुष्टि
डाटा मेनेजर महेंद्र कुमार ने बताया कि डेंगू के लक्षण पाए जाने पर रैपिड टेस्ट एनएस 1 जांच की जाती है जिसमे पॉजिटिव आने पर मरीज का इलाज शुरू कर एलाइजा टेस्ट करवाया जाता है जो पॉजिटिव आने पर ही उसे डेंगू की पुष्टि होती है। बीकानेर में जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में ये सुविधा उपलब्ध है।

डेंगू से बचाव
1. घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
2. यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
3. कूलर-गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।
4. ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
5. मच्छर रोधी स्ट्रिप, क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रिक रैकेट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें।