(जीवनदान चारण) श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक रामस्नेही संत श्री क्षमाराम जी महाराज ने प्रवचन दिया। उन्होंने कहा भगवान ही संसार का रूप है। बुद्ध को भगवान मानते है।लेकिन वह वैदिक देवता नही है।उनकी वाणी वेदों के सम्यक नही है।भागवत में सभी वेदों पुराणों ग्रंथो का सार है। छ: प्रश्नों पर क्षमा राम जी महाराज ने विस्तार पूर्वक व्याख्या की। उन्होंने कहा ज्ञान में संकोच नही होना चाहिए।गुरु शिष्य से पराभव का भाव रखता है।
साधु मान सम्मान की चिंता नही करते है।वह सब कुछ चौड़े में बता देते है।देव व्यास जी महाराज भगवान की दिव्य कलाओ के अवतार थे।वेद अनादि है।वेद को सब समझ नही सकते है। मनुष्य की उदासी का मुख्य कारण भगवान से प्रेम नही होना है।इस आधुनिक युग मे मनुष्यों को भगवान से प्रेम करने के लिये मोबाइल का प्रयोग का फायदा उठाना चाहिए। अब मोबाइल में भगवान से जुड़ी अनगनित व्याख्या है।महापुरुषों की वाणी में सत्यता रहती है।ऐसे मनुष्य कभी झूठ वचन नही बोलते है।
इसी कारण उनके वचन सत्य सिद्ध होते है। मनुष्य का जन्म कर्म के कारण ही होता है।कर्म ही मनुष्यों को मुक्ति प्रदान करता है।सभी को भगवान के लिये कर्म करना चाहिए। जिस मनुष्य के अंदर आध्यात्मिक परमाणु हो वह मानवता के धर्म को पहचानता है।श्रद्धा से ह्रदय पिघल जाता है। गौवंश पर उन्होंने कहा देशी गाय की दो पहचान होती है एक तो उसकी गले की कम्बल लम्बी होती है दूसरी पीठ ऊपर थुई बड़ी होती है।ऐसी गायों का दूध घी सबसे शुद्ध होता है।
वर्तमान में गाय का शुद्ध घी भी नही मिल रहा है।भारत विरोधी विदेशी ताकतों के कारण आज केमिकल से चाहे जितना घी दूध बाजार में मिल रहा है। देशी गायों पर संकट लगातार बनता जा रहा है।उन्होंने कहा कि धूप व वर्षा एक साथ होना आश्चर्य है।यही आश्चर्य भगवान जी लीला है।भगवान व जीव में माया ही अंतर उत्पन्न करती है। कथा में व्यवस्था बनाये रखने के लिये रामकृष्ण खत्री, भरत, धीरज, जितेंद्र, कुलदीप, भवानी शंकर, अविनाश, घनश्याम, पुखराज, धीरज, आशकरण भट्टड़, किशनगोपाल चितलांगिया, सुरेश तापडिय़ा, जेठमल नाई सहित सैकड़ो कार्यकर्ताओं सहयोग किया। साथ ही वीर हनुमान सेवा समिति की और से चरण पादुकाओं के रखने व्यवस्था की गई। समिति के भंवर लाल बाहेती, गोपाल चांडक, ललित पालीवाल सहित कार्यकर्ताओं ने सेवा दी।