बीकानेर। जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने कृषि अधिकारियों से कहा कि कृषि के क्षेत्र में हुए नवीन अनुसंधान का फायदा सुदूर गांव में बैठे किसानों को मिले, इसके लिए विभाग ऐसी योजना बनाए कि अनुसंधान की संपूर्ण जानकारी काश्तकार तक सुगमता से पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि नवीन और परंपरागत खेती के तरीकों का फायदा स्थानीय किसान अपनी जरूरत के मुताबिक ले सके इसके भी पुख्ता प्रबंध किए जाएं।
गौतम मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय और काजरी के वैज्ञानिकों से समन्वय व सम्पर्क कर 3 माह का कैलेंडर बनाकर, इस तरह से कार्य करे कि जिले के सभी गांव कवर हो सके।
इन गांवों के किसानों को आधुनिक खेती की तकनीक की जानकारी रूबरू करवाया जा सके। विशेषकर दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा बारानी और नहरी क्षेत्र फसलों के बारे हुए शोध के बारे में आम काश्तकारों को बताएं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की आगामी बैठक में जिले के प्रगतिशील काश्तकारों को भी बुलाया जाएगा जिससे कि उनसे स्थानीय खेती के बारे में जानकारी ली जा सके। बैठक में काश्तकारों को बुलाने का कार्य राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा। जिले की प्रत्येक पंचायत समिति क्षेत्र के दो-दो गांव से एक-एक किसान को मीटिंग में बुलाकर,उनके क्षेत्र में खेती संबंधित विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा कर,उनके समाधान के लिए प्रयास किए जाएंगे। इससे काश्तकारों के आर्थिक स्तर में और अधिक गुणात्मक सुधार हो सकेगा।
जिला कलक्टर ने कहा कि यह जिला कृषि व पशुपालन प्रधान जिला है। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप किसान कृषि विभाग पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग को मिले बजट का पूरा लाभ किसानों को होना चाहिए। उन्होंने कृषि अधिकारियों से कहा कि कृषि विकास के लिए अधिकारियों को अपने विवेक का इस्तेमाल भी करना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी बैठक में अधिकारी लक्ष्यों की जानकारी देने के बजाय जिले में कृषि उन्नयन के लिए प्लानिंग के साथ शामिल होंगे। उन्होंने कृषि,बागवानी और पशुपालन विभाग को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर ने कहा कि डिग्गियों के निर्माण, सौर उर्जा संयंत्र तथा फव्वारा सिंचाई के बारे में भी काश्तकारों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से अवगत करवाएं और बताए कि डिग्गियों के निर्माण पर सरकार द्वारा एक बड़ी धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। साथ ही फव्वारा सिंचाई पद्धति व खेतों में सोलर प्लांट लगाने में भी सरकार द्वारा आर्थिक मदद प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि जो काश्तकार अपने खेत में डिग्गी का निर्माण करवाना चाहता है उन्हें अनुदान के साथ साथ मनरेगा से जोड़कर अतिरिक्त साधन सुलभ करवावें जिससे अधिकाधिक काश्तकार डिग्गियों का निर्माण करवाकर अपने आर्थिक स्तर में गुणात्मक सुधार ला सकें।
उन्होंने परियोजना निदेशक आत्मा को निर्देशित किया गया की जिले में कार्यक्रम करने के स्थान पर एक ब्लॉक का चयन कर उसमें सभी कृषि एवं संबधित सभी विभाग सामूहिक रूप से कृषको को कृषि एवं पशुपालन की उन्नत तकनीक से अवगत कराते हुए उसकी आय को बढ़ाऐ। इस कार्य को मिशन के रूप में करें।
गौतम ने कहा कि कृषकों की भूमि के मृदा कार्ड बने हुए है,उन सभी के खेतों में मिट्टी की ऊर्वरा क्षमता सहित अन्य उपजाऊ तत्वों का परीक्षण निश्चित समय में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को नई तकनीक के साथ साथ परम्परागत कृषि विकास योजना के साथ ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताने के लिए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मेले का आयोजन किया जाए।
गौतम ने ÓÓआत्माÓÓ तथा कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आत्मा पाक्षिक न्यूज लेटर का प्रकाशन शुरू करें और इसकी प्रति प्रत्येक ग्राम पंचायत में पहुंचाई जाए। विभाग के अधिकारी, कर्मचारी आत्मा द्वारा जारी न्यूज लेटर को सभी काश्तकारों तक पहुंचाएं। न्यूज लेटर में काश्तकारों को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न योजनाओं, अनुदान, कृषि की आधुनिक तकनीक आदि की सम्पूर्ण जानकारी हो।
टिड्डी से बचाव के सभी उपाय रखे पुख्ता- गौतम ने कहा कि जिले में संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में टिड्डी के आने की संभावना व्यक्त की गई है। अगर टिड्डी प्रकोप होता है, तो उसके बचाव के सभी उपाय रखे जाएं । साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में प्रमुख लोगों के पास टिड्डी नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन नंबर उपलब्ध रहे तथा सूचना मिलते ही तत्काल विभाग के अधिकारी आवश्यक दवा आदि लेकर मौके पर पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही विभाग द्वारा कर ली जाए। उन्होंने कहा कि कार्यालय के दूरभाष नंबर 0151-2202022 जिले की सभी पंचायत ग्राम भवन में चस्पा कर दिया जाए, जिसे संभावित समस्या का निस्तारण सूचना मिलने पर तत्काल हो सके।
कृषि फसल रबी एवं उद्यानिकी नवाचारों मैगजिन का लोकार्पण-जिला कलक्टर ने इस मौके पर उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा बीकानेर की मैगजीन का लोकापर्ण किया। मैगजीन में कृषि फसल (रबी) एवं उद्यानिकी नवाचारों की उन्नत तकनीक पर विषय विशेषज्ञों के आलेख है। साथ ही उत्पादकता के 21 मूल मंत्र किसानों को बताए गए हैं।
बैठक में सहायक निदेशक कृषि विस्तार जयदीप दोगने ने बताया कि वर्ष 2018-19 में कृषि विभाग को 86.28 करोड़ रूपये के प्रावधान के विरूद्ध 106.34 करोड़ रूपये की प्रगति अर्जित की गई। उक्त प्रगति में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अन्तर्गत 47.29 करोड़ की प्रगति अर्जित करते हुए जिले में नहरी क्षेत्र में 1959 डिग्गी व ट्यूबवेल क्षेत्र में 803 जलहौज का निर्माण कृषकों द्वारा अनुदान पर किया गया। जिले में खरीफ हेतु पर्याप्त मात्रा में उर्वरक एवं बीज उपलब्ध है। प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना अन्तर्गत जिले को आवंटित 137034 मृदा नमूनों के लक्ष्य के विरूद्ध 132339 मृदा नमूनों की प्रगति अर्जित की जा चुकी हैं।
शेष प्रगति को 15 जून तक अर्जित कर लिया जावेंगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अन्तर्गत रबी 2017-18 खरीफ 2018 का बीमा क्लेम अभी लंबित है। जिला कलक्टर ने कहा कि जिले में नए कार्य क्या किऐ जा रहे है ? इस पर बताया गया की कृषकों को जल बचत के लिए जागरूक किया जा रहा है तथा फसलों में उर्वरक एवं कीटनाशी के अत्यधिक प्रयोग को रोकने हेतु जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे है। कृषक पूर्व में माह अप्रेल में मूंगफली की फसल की बुवाई करते थे किन्तु गत चार वर्षों से विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कृषकों को माह जून में मूंगफली की बिजाई तथा उर्वरक एवं कीटनाशी के समुचित उपयोग हेतु जागरूक किया जा रहा है। इसका परिणाम है कि अधिकाशं कृषक अब माह जून में ही मंूगफली की बिजाई कर रहे है तथा कुछ कृषकों ने बीटी कपास की खेती भी प्रारम्भ की है।
बैठक में डॉ. प्रकाश सिंह शेखावत, सह.निदेशक अनुसंधान एस.के.आर.आई.यू बीकानेर, डॉ. एन.डी. यादव निदेशक काजरी, डॉ.एच.के नरूला, निदेशक केन्द्रीय भेड़ उन अनुसंधान संस्थान डॉ. शिव राम मीणा केन्द्रीय शुष्क उद्यानीकी अनुसंधान संस्थान, डॉ. आर.के सावल निदेशक राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान संस्थान, डॉ. दिनेश जैन राजुवास श्री रमेंश तांबिया जिला विकास प्रबन्धक नाबार्ड उपस्थित रहे।