मुकेश पूनिया
बीकानेर। पेंशनरों के लिये जेनरिक दवाओं के बजाय ब्रांडेड दवाओं की खरीद के मामले में हुई सात-आठ करोड़ की घोटालेबाजी का मामला एससीबी में दर्ज होने के बाद पीबीएम होस्पीटल के भ्रष्ष्टो में हड़कंप सा मचा हुआ है। जानकारी के अनुसार भ्रष्टो जमात में पीबीएम होस्पीटल के नामी डॉक्टरों के अलावा चिकित्सा जगत से जुड़ी कई नामी फर्मो के संचालक भी शािमल है,जो सालों से एकजुटता के साथ बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे है,इनमें कई बड़े डॉक्टर तो सेवानिवृत हो चुके है और कई अपिहार्य कारणों से आवश्यक सेवानिवृत लेने की जुगत में है। चिकित्सा जगत से जुड़े सूत्रों की मानें तो जेनरिक दवाओं के बजाय ब्रांडेड दवाएं खरीदने का यह मामला तो पीबीएम होस्पीटल में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा का छोटा सा हिस्सा।
हकीकत तो यह है कि एसपी मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध संभाग के इस सबसे बड़े होस्पीटल के कोने कोने में भ्रष्टाचार है। यहां जिम्मेदार पदों पर तैनात सिनियर डॉक्टरों से लेकर निचते स्तर के चिकित्सा कर्मी भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। फिलहाल जेनरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं खरीद में सात आठ करोड़ के घोटाले से जुड़े इस मामले की जांच में पीबीएम होस्पीटल दवाओं के अलावा चिकित्सीय जांच की मशीनों और उपकरणों की खरीद फरोख्त हुए भ्रष्टाचार की गंूज भी चहुंओर सुनाई देने लगी है।
पुख्ता खबर है कि करोड़ो रूपये की चिकित्सीय मशीनों और उपकरणों की खरीद में तो सात-आठ करोड़ का नहीं बल्कि पचास-साठ करोड़ का घोटाला हुआ है। इस घोटाले में होस्पीटल के कई नामचीन डॉक्टर्स भी शामिल रहे है जो अपनी खाल बचाने के लिये इधर उधर भागते फिर रहे है। इधर राज्य सरकार अबकी दफा पीबीएम होस्पीटल में भ्रष्टो के खिलाफ सख्ताई के मूंड में है।
सीएम के निर्देश पर हुई कार्यवाही
चिकित्सा जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एसपी मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध पीबीएम होस्पीटल में चिकित्सीय सुविधाओं के लिये राज्य सरकार की ओर से हर साल करोड़ों रूपये का बजट मुहैया कराया जाता है,चिकित्सीय मशीनें और उपकरणों की खरीद के लिये आवंटित यह बजट कई सालों से भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा है। इसे लेकर जागरूक संगठनों द्वारा लगातार शिकायतों के बावजूद आज तक कोई जांच कार्यवाही नहीं हुई। बताया जाता है कि पेंशनर्स को दी जाने वाली जेनरिक दवाओं के बजाय ब्रांडेड दवा खरीद कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना की शिकायत पिछले दिनों मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री तक पहुंची थी।
मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के निर्देश दिये थे,प्रथम दृष्टया जांच में भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित होने पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसीबी ने केस दर्ज कर लिया। इस केस में एसपी मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. एलए गौरी, सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के तत्कालीन महाप्रबंधक मनमोहन यादव, स्टोर कीपर अनिल कुमार गुप्ता, विनोद गौड़, तत्कालीन मेडिकल सुपरवाइजर बजरंग महात्मा व कनिष्ठ लिपिक रामकुमार को नामजद किया गया है। जिन्होने मिलीभगत कर टेंडर वाली दवाइयां नहीं खरीद कर ब्रांडेड दवाइयां खरीदी। हालांकि राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश थे कि चिकित्सक मरीजों को जेनरिक दवाइयां ही लिखेंगे। इसके बावजूद भ्रष्टाचार के आरोपी डॉ. गौरी ने पेशनर्स को ब्रांडेड दवाइयां लिखते रहे।