बीकानेर। भारतीय सेना की सप्तशक्ति कमान का प्रतिष्ठापन समारोह 15 जनवरी को सुबह नौ बजे छावनी क्षेत्र में रणबांकुरा डिवीजन के संरक्षण में होगा। समारोह में सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, गणमान्य नागरिक एवं पुरस्कृत सैनिकों व उनके परिजनों को आमंत्रित किया गया है।
लेफ्टिनेट कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि इस समारोह की अध्यक्षता जनरल अफसर कमांडिंग-इन-चीफ सप्त शक्ति कमान लेफ्टिनेन्ट जनरल अरूण कुमार साहनी, (यू वाई एस एम, एस एम, वी एस एम,) करेंगे। समारोह में वे एक युद्ध सेवा मेडल, एक सेना मेडल (वीरता), दो सेना मेडल(विशिष्ट)तीन विशिष्ट सेवा मेडल तथा सोलह यूनिट प्रशस्ति पत्रा प्रदान करेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय सेना प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को ‘सेना दिवस‘ मनाती है। सन् 1948 में इसी दिन लेफ्टिनेन्ट जनरल के. एम. करियप्पा ने प्रथम भारतीय सेनाध्यक्ष के रूप में भारतीय सेना की कमान सम्भाली थी। इस दिन भारतीय सेना के कुछ चुनिंदा बहादुरों, जिन्होंने अद्वितीय साहस एवं निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वालोंको सम्मानित किया जाता है।
15 जनवरी 2015 को होने वाले समारोह के अवसर पर बीकानेर में निवासित चुनिंदा प्रमुख भूतपूर्व सैनिकों से मीडिया कर्मियों ने बातचीत की । ग्रनेडियर रेजिमेंट के ब्रिगेडियर ज.े एस राठौर, वीर चक्र, विशिष्ठ सेवा मेडल ;सेवानिवृत ने अपने सैन्य जीवन के विषय में विस्तृत चर्चा की। भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से प्रशिक्षित इस वरिष्ट सैनिक की पूर्व चार पीढ़ियों ने सेना में रहकर राष्ट्र् की सेवा की है।
ब्रिगेडियर जे. एस. राठौर ने मीडिया कर्मियों को बताया की सन् 1971 के युद्ध में वे 13 ग्रनेडियर में सेवारत् थे जो की उस वक्त बीकानेर में ही थी। उनकी बटालियन को दुश्मन की रनिहाल चौकी (पाकिस्तान) पर कब्जा करने का कार्य सौपा गया था। देश सेवा के जज्बे के कारण उन्होंने बहादुरंी से अपनी कम्पनी का नेतृत्व करते हुये दुश्मन सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अपने अदम्य साहस के कारण वीर चक्र का सम्मान मिला। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति श्री वी.वी.गिरि से वीर चक्र प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह सम्मान मेरा नहीं राणबांकुरे राजस्थान, सेना व देश का तथा उन तमाम शहीदों का है जिन्होंन देश के खातिर अपनी जान न्यौछावर कर दी।