पर्युषण जैन धर्म का प्रमुख आध्यात्मिक पर्व : साध्वीश्री शशि प्रभाजी म.सा.

OmExpress News / बीकानेर / जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती प्रवर्तिनी वरिष्ठ साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने शनिवार को एक माह की तपस्या करने वाली सरिता खजांची की तपस्या की अनुमोदना की। संघ की ओर से तपस्वी का अभिनंदन किया गया। साध्वीश्री के सान्निध्य मंें चल रहा पांच दिवसीय कपल शिविर संपन्न हुआ।  Bikaner News 24 August

साध्वीश्री शशि प्रभा ने तपस्या की अनुमोदना करते व तपस्वी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आहार के नाम पर केवल सीमित गुनगुने जल का एक माह तक उपयोग करना मास खमण की तपस्या करना कठोर मनोबल का प्रतीक है। देव,धर्म व गुरु की असीम कृृपा, पुण्यकर्मों के उदय होने पर ही तपस्या व आध्यात्मिक साधना संभव है। जैन धर्म में संचित पापों व कर्मबंधनों को दूर करने के लिए तप प्रमुख साधन है। तप के दौरान जप, स्वाध्याय, आत्म व परमात्म चिंतन साधना को अधिक प्रभावी बनाते है।

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साध्वीश्री ने कहा कि सोमवार 26 अगस्त से पर्युषण पर्व शुरू हो रहे हैै । जैन धर्म में तपस्या, साधना, आराधना व भक्ति, सामयिक, पौषध व प्रतिक्रमण के लिए पर्युषण का जीवों को अभय दान दें तथा अधिकतर समय आत्म-परमात्म के ध्यान में लगावें। अपनी बुराईयों को देखें तथा उन्हें दूर करने का प्रयास व प्रयत्न करें। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में नवंकार महामंत्र अनुकरणीय तथा आधि-व्याधि को दूर कर तथा आत्मिक उन्नति को प्रदान करने वाला है। पर्युषण पर्व के दौरान अधिकाधिक नवंकार महामंत्र का जाप करें ।  Bikaner News 24 August

साध्वीश्री सौम्यगुणा ने कपल शिविर के समापन पर दम्पतियों को एक से दस तक की गिनती के आधार पर सफल गृहस्थ जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि एक ही जीवन साथी पर पूर्ण भरोसा रखे तथा उनके साथ आत्मीय भाव से रहे सांसारिक कर्म पूरा करते हुए आत्म कल्याण के कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करें। अपने माता-पिता की तरह पति पत्नी के व पत्नी-पति के माता-पिता को समताभाव के साथ सम्मान दें।

ज्ञान, दर्शन व चारित्र को रत्न त्रय कहा गया है। कार्य-व्यवहार व व्यापार में भी रत्नत्रय को धारण करते हुए उपयोग में लें। चार कषाय काम,क्रोध, लोभ व मान को दाम्पत्य जीवन के बीच में नहीं आने दे। पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण रखे तथा छह कायो के जीवों को अभय दान दें।

शादी के वक्त किए गए सात वचनों को पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से निभाएं तथा सात तरह के भय से डरें। आठ पौर में अपने कर्मों को क्षय करने का प्रयास व प्रयत्न करें। नौपद की आराधना करें तथा पति पत्नी एक दूसरे के लिए दस मिनट अवश्य निकालें। शिविर के दौरान ’एक दूजे के लिए’’ प्रश्न पत्र भी शिविरार्थियों को दिए गए।

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वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी को शब्द ऋषि सम्मान अर्पित

राष्ट्रीय कवि संगम द्वारा शहर के भीतरी परकोटे में शब्दों का गुलिस्तां प्रस्तुत किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भैरूं उपासक प्रहलाद ओझा ने कहा कि शब्दों का संसार अनन्त है, उन शब्दों को जोड़कर हम अपनी वाणी देते हैं जिससे देशभक्ति और भाईचारे की भावना प्रबल होती है | Bikaner News 24 August

रमक-झमक का सौभाग्य है जो इतना अच्छा कार्यक्रम करने के लिए इस प्रांगण का चयन किया गया | मुझे वर्ष 1982-83 आज भी याद है जब शिवराजजी की प्रेरणा से रमक-झमक ने अपनी गतिविधियां परवान चढ़ाई | मुख्य अतिथि डॉ.अजय जोशी ने कहा कि आज ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जिससे नई पीढी को पुरानी पीढी से सीखने को मिलता है |

वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने अपनी रचना “निम्धो-निम्धो पडै चानणो अर मिनख पणै री छूट रेई लगाम” सुनाते हुए कहा कि बीकानेर की साहित्य परम्परा समृद्ध एवं प्रेरक रही है | वर्तमान में कवि उसी मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं जो अच्छी बात है | संस्था ने मेरा बहुमान किया, मैं संस्था का आभारी हूं | Bikaner News 24 August

कार्यक्रम में संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कवयित्री डॉ.कृष्णा आचार्य ने कहा कि यह संस्था प्रति माह “विभूति के द्वारे” कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्य एवं समाजसेवा करने वाले प्रेरणास्पद विभूतियों का सम्मान कर संस्था स्वयं अपने आपको गौरवान्वित करती है | आज इसी 13 वीं कड़ी में हिन्दी राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी का शब्दों से, भावों से, अपनी स्वरचित रचनाओं के साथ पुष्पहार, शोल, श्रीफल एवं साहित्य अर्पित कर सम्मान किया गया |

मीठे गीतकार जुगलकिशोर पुरोहित ने वंदना प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना “है मात तुम्हारे चरणों में दुनिया की सारी जन्नत है” सुनाई | कार्यक्रम का संचालन करते हुए हास्य-व्यंग्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने शिवराजजी छंगाणी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से बताते हुए अपनी रचना “कमाऊं घणोई पण मेंगाई पार पड़ण दे कोनी”, कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने “जिन्दगी के मर्म को अबतक समझ पाया नहीं, आधा जीवन जी लिया पर हाथ कुछ आया नहीं” सुनाकर तालियां बटोरी |

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कैलाश टोक ने “जोड़ी हमारी देखकर लोग कहते सुभान अल्लाह सुनाई”, राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्ष एवं लेखिका डॉ. कृष्णा आचार्य ने गगन की छांव है बेटी धरा का बीज है बेटी गीत सुनाकर वाह-वाही लूंटी | मीठे गीतकार लीलाधर सोनी ने सदा सुरंगों राखो रामजी म्हारौ राजस्थान गीत सुनाकर तालियाँ बटोरी | ओजस्वी कवि विशन मतवाला ने “आदमी है आदमी को प्यार दे-दुलार दे” सुनाई | रमक-झमक की तरफ से राधेश्याम ओझा ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया |

एसकेआरएयूः कुलाधिपति से मिले कुलपति, कृषि मंत्री से भी की मुलाकात

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. रक्षपाल सिंह ने शनिवार को जयपुर में राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह से शिष्टाचार मुलाकात की। राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने उन्हें बधाई दी। कुलपति प्रो. रक्षपाल सिंह ने कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री श्री लालचंद कटारिया से भी मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि प्रो. सिंह ने शुक्रवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण किया था।

चित्रकला कार्यशाला आयोजित, प्रदर्शनी रविवार को

स्टूडेंट साॅल्यूशन क्लासेज में शनिवार को एकदिवसीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन उद्योगपति रामकुमार जोशी और रामपुरिया महाविद्यालय के चित्रकला व्याख्याता शंकर राॅय ने किया। प्रशिक्षक आशीष पुरोहित, अनुराधा, सोनू पड़िहार, नेहा खत्री, मुदित शर्मा और पल्लवी सारस्वत के नेतृत्व में 32 प्रतिभागियों ने चित्र उकेरने के गुर सीखे।

क्लासेज निदेशक गिरिराज आचार्य, समन्वयक कैलाश स्वामी और संचालक आनंद पुरोहित ने बताया कि कार्यशाला के दौरान बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी रविवार को प्रातः 11 से सायं 4 बजे तक बी.के. स्कूल के पास स्थित मगन भवन में आयोजित की जाएगी।