धर्मनगरी भी अछूती नही
ऑनलाइन गेम से बढ़ा रहे है नई पीढी की हार्ट बीट
बीकानेर। सुबह देर से जागना, रात को देर से खाना, वजन असंतुलित होना, देर रात भोजन करना, ज्यादा नमक या तला हुआ खाने से जहां पहले हाइपर टेंशन होती थी। अब उसमें एक कारण सोशल मीडिया का भी जुड़ गया है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग की लत से युवा हाइपरटेंशन का शिकार होने लगे हैं। धर्मनगरी भी इससे अछूती नहीं है,यहां भी बड़ी तादाद में नई पीढी के युवा हाईपर टेंशन से पीडि़त रहने लगे है। लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन के सामने समय बिताने के चक्कर में वे एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी से दूर हो रहे हैं। जिसके चलते वे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। सोचने वाली बात यह भी है कि हाइपरटेंशन जैसी साइलेंट किल्लर बीमारी अब नई पीढी को शिकार बना रही है। मनोरोग चिकित्सक डॉ.सिद्धार्थ असवाल कहते हैं कि अब कम उम्र के युवाओं में भी हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिल रही है। पब्जी जी जैसे कई गेम खेलते समय हार्टबीट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। वही सोशल मीडिया पर अटेंशन न मिलने के कारण भी युवा स्ट्रेस और डिप्रेशन में चला जाता है। डॉ.असवाल ने बताया कि अभी हाल ही में उन्होंने एक 28 साल की लड़की का केस देखा जो भारी हाइपरटेंशन की शिकार थी।जब उसके लाइफ स्टाइल के बारे में गौर किया गया तो पता चला कि वह आवश्यकता से अधिक सोशल मीडिया में समय बिताती थी। यही नहीं वह ऑनलाइन गेम खेलने में भी समय देती है। वह मोबाइल के कारण न समय से सोती न ही उठती। उनका कहना है कि ज्यादा सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स की लत के कारण कई सारे बुरे असर बॉडी में होते हैं। गेम के चलते युवा ठीक से सोना और घर से निकलना भी कर दिया कम एक्सपर्ट कहते हैं बीपी से बचे रहने का सबसे अच्छा उपाय है कि युवा की लाइफ स्टाइल बेहतर हो। व्यस्त लाइफ होने के कारण युवा अपनी सेहद का ख्याल नहीं रख पा रहे।उस पर भी जो समय बचता है उसमें युवा सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम खेलने में गवा देता है। जिसके चलते युवा न तो ठीक से सो पाते हैं न ही घर से बाहर निकल पाते। फिलकली एक्टिविटी न के बराबर हो गई है ऐसे में डिप्रेशन या हाइपरटेंशन होना स्वाभिक है।
*30 साल की उम्र में हो रही यह बीमारी*
हार्ट स्पेशलिष्ट डॉ.देवेन्द्र अग्रवाल कहते हैं कि पहले उनके पास 50 से 60 साल की उम्र तक के हाइपरटेंशन मरीज आते थे। अब 30 साल तक की युवाओं में भी हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिल रही है। हर माह में पाचं से दस युवा तो हाइपरटेंशन का इलाज कराने उनके पास पहुंच रहे हैं। इस उम्र के युवाओं का बीपी बढऩा ठीक नहीं है। इसलिए उन्हें डेली रुटीन को अब बदलना चाहिए। गलतलाइफ स्टाइल भी काफी हद तक इसकी जिम्मेदार है।