बच्चों में अंतराल का आसान साधन अंतरा
सेवा सभी सीएचसी और शहरी पीएचसी पर उपलब्ध
बीकानेर। दो बच्चों में अंतर के लिए रोज-रोज गर्भनिरोधक उपयोग के बजाय 3 माह में एक बार अंतरा इंजेक्शन योग्य दम्पतियों की पसंद बन रहा है। परिवार कल्याण कार्यक्रम में क्रन्तिकारी साबित हुए अंतरा डी.एम.पी.ए. इंजेक्शन की सेवाएं अब पी.बी.एम. असपताल, जिला अस्पताल, सभी सीएचसी, शहरी पीएचसी व डिस्पेंसरियों में उपलब्ध हैं। सीएमएचओ डॉ बी.एल. मीणा ने बताया कि अंतरा इंजेक्शन 18 वर्ष से लेकर 45 की उम्र तक किसी भी महिला को डॉक्टर द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर शुरू किया जा सकता है। बाद की डोज नर्सिंग स्टाफ या आयुष चिकित्सक द्वारा भी दी जा सकती है।
बुधवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में नर्सिंग कर्मियों को अंतरा का प्रशिक्षण दिया गया। गायनेकोलोजिस्ट डॉ मूलचंद खीचड़ व डॉ सुषमा ने अंतरा के उपयोग, लाभार्थी के चयन व फोलोअप का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया। उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (प.क.) डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने अंतरा लगवाने वाली महिलाओं को नियमित फोलो अप करने और 3 माह के अंतराल से बुलाकर अगली डोज देने की बात रखी हालांकि इसके लिए विशेष ऑनलाइन सॉफ्टवेयर भी संचालित है जिसके माध्यम से हर 3 माह से लाभार्थी तो रिमाइंडर मिल जाता है। डॉ. तनेजा ने अब तक लगे अंतरा इंजेक्शन की समीक्षा करते हुए अधिकाधिक महिलाओं को सुरक्षित अंतरा सेवा से जोड़ने और गुणवत्तापूर्ण परिवार कल्याण सेवाएं देने के निर्देश दिए। प्रशिक्षण में शहरी व ग्रामीण पीएचसी-सीएचसी की एएनएम व एलएचवी शामिल हुई।
क्यों है अंतरा आसान साधन
डॉ. तनेजा ने बताया कि एक इंजेक्शन और 3 माह की छुट्टी यानिकी रोज-रोज गर्भनिरोधक साधन की जरुरत नहीं होने से अंतरा काफी आसान अंतराल साधन माना जाता है। इन्जेक्टेबल कॉन्ट्रासेप्टिव (अंतरा) का उपयोग उच्च प्रजनन दर को कम करने में महत्वपूूर्ण साधन है एवं योग्य दम्पत्तियों को समय पर परामर्श देकर तथा यथा समय फॉलोअप पर विशेष ध्यान देकर परिवार को सुखी बनाने का सफल प्रयास है। उन्होंने बताया कि इस इन्जेक्शन के उपयोग के बाद महिला को आलोच्य अवधि तक गर्भधारण रोकथाम के लिए अन्य किसी साधन का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं रहती।