बीकानेर। नगर निगम चुनावों में टिकट बंटवारें को लेकर भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बड़े नेताओं के खिलाफ उपजा आक्रोश बीकानेर में बड़े सियासी बवाल का कारण बन गया है। कड़ी मशक्कत के बावजूद भी मजबूत दावेदारों का टिकट कटने से आक्रोश की लहर अब भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में नजर आई,इसके चलते टिकट वितरण को लेकर दोनों ही दलों में अंतिम समय तक कशमकश की स्थिति बनी हुई थी। सूत्रों के अनुसार भाजपाई खेमें में विरोध की लहर छह-सात वार्डो में देखने को मिल रही है जबकि कांग्रेसी खेमें में शहरभर के दर्जनभर वार्डो में टिकट बंटवारें से उपजी आक्रोश की लहर चरम पर है। भाजपाई खेमें के आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मुखरित रूप से केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और उनके खास सिपहासालार शहर भाजपा अध्यक्ष डॉ.सत्यप्रकाश आचार्य का निशाने पर ले रखा है,जबकि कांग्रेसी खेमें के गुस्साएं कार्यकर्ता उर्जा मंत्री डॉ.बीडी कल्ला और शहर कांग्रेस कमेटी पदाधिकारियों के खिलाफ आक्रोश दिखा रहे है।


चौंकानें वाली बात तो यह है कि दोनों ही दलों में आक्रोशित कार्यकर्ताओं में भड़की विरोध की आग को हवा देने का काम कई बड़े नेताओं ने संभाल रखा है।अनके वार्डो में तो हालात इस कदर गरमाये हुए है कि भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों भारी जन विरोध का सामान करना पड़ रहा है। हमारे राजनैतिक संवाददाता के अनुसार शहर का वार्ड नंबर ६४ ऐसा वार्ड है जहां भाजपा और कांग्रेस के दोनों ही प्रत्याशियों के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं में विरोध का माहौल है। भाजपा ने इस वार्ड ने अपनी मजबूत दावेदार के रूप में डॉ.मीना आसोपा को प्रत्याशी बनाकर मैदान मेें उतारा है,जबकि कांगे्रेस ने काफिया समेजा को टिकट दिया है। मजे कि बात यह है कि दोनों ही प्रत्याशियों को पार्टी कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा रहा है,वहीं भाजपा के एक गुट ने इस वार्ड से मंजू गहलोत को सामाजिक न्याय मंच से टिकट दिलाकर मैदान में उतारा है। इस वार्ड की खासियत है कि भाजपा ने डॉ.मीना आसोपा को महापौर पद की दावेदार बनाकर मैदान में उतारा है। इधर वार्ड नंबर ६३ में भी भाजपा और कांग्रेस ने इस बार दोनों ही पूर्व पार्षदों के टिकट काटकर नये चेहरों को मैदान में उतार दिया,मजे कि बात यह है कि दोनों ही चेहरे पार्टी कार्यकर्ताओं के लिये पूरी तरह अनजान है। इनमें भाजपा ने धोबी तलाई के कैलाश सिंधी को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने जेलवेल निवासी पारस मारू को टिकट दिया है। इसी तरह शहर के अनेक वार्डो में भाजपा और कांग्रेस के घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ विरोधाभाषी माहौल होने के कारण सियासी बवाल मचा हुआ है।


नगर निगम चुनावों में टिकट बंटवारें को लेकर मचे सियासी बवाल के कारण भाजपा खेमें के कई नामी नेता निष्क्रिय बने हुए है,अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं दिये जाने से खफा ये नेता अंदरखाने कांग्रेस और सनम को समर्थन दे रहे है। नाराजगी जाहिर करने के लिये ये नेता मंगलवार को भाजपा प्रत्याशियों के नामांकन दाखिलें के समय भी गैर मौजूद रहे।भाजपा में बगावत के सुर बुलंद हो गए। टिकटों की दौड़ में पिछड़े पार्टी के कई पदाधिकारियों ने बगावत का झंडा बुलंद कर लिया। कई पदाधिकारी खुलकर मैदान में उतर आए हैं। टिकट वितरण से असंतुष्ट एक पार्षद एवं युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने मुखरित रूप से विरोध की कमान थाम ली है। बताया जाता है कि पार्टी के रणनीतिकारों ने टिकट बंटवारें के समय भाजपा यूवा मोर्चा के पदाधिकारियों को ज्यादा तरजीह नहंी दी,पार्टी के कई पदाधिकारी टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी के लिए चुनौति खड़ी करने की तैयारी में जुट गये है।


टिकट बंटवारेें को लेकर मचे बवाल के कारण कांग्रेसी नेताओं का एक बड़ा गुट विरोध में उतर आया है,अपने चेहतों और समर्थकों के टिकट कटने से खफा ये नेता खुलकर बगावती तैवर दिखा रहे है,हायतौतबा मचा रहे कांगे्रसी नेताओं में अधिकांश चेहरे ऐसे है जिन्होने विधानसभा चुनावों के दौरान डॉ.बीडी कल्ला का टिकट कटने पर खुशियां मनाई थी। कांग्रेस में अंदरूनी कलह इतनी हो गई कि प्रदेश महासचिव प्रभारी रेहाना रियाज,शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत टिकट वितरण को लेकर खुल कर विरोध में आ गये। जानकारी के मुताबिक सोमवार की रात जनार्दन कल्ला का आवास टिकट वितरण का केन्द्र बना। देर रात जैसे-जैसे विरोधी कल्ला के आवास पहुंचे। प्रमुख नेता 11 बजे गोपनीय स्थान पर चले गए। कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा क्षेत्र के एक ब्लॉक अध्यक्ष का टिकट फाइनल किया तो पश्चिम विधानसभा के एक ब्लॉक अध्यक्ष का टिकट अटका दिया। सबसे बड़ी चर्चा का वार्ड 42 नबंर रहा जिसको लेकर देर रात तक नेताओं के फोन घनघनाते रहे। इसी वजह से सूची जारी करने तक इस वार्ड को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। टिकट वितरण के बाद जैसे जैसे लिस्ट आउट हुई कार्यकर्ताओं में कहीं खुशी तो कहीं विरोध के तेवर दिखे।
भाजपा के अल्पसंख्यक भी खफा
नगर निगम चुनावों के टिकट बंटवारे से भाजपा के अल्पसंख्यक नेता भी खासे आक्रोशित है,इसके चलते उन्होने मुखरित ढंग से विरोध भी शुरू कर दिया है। विरोध करने वालों का तर्क था कि बीकानेर नगर निगम क्षेत्र के अस्सी वार्डो में से करीब तीस वार्ड मुस्लिम बाहुल्य है जहां पार्टी प्रत्याशियों के चयन में भाजपा के अल्पसंख्यक नेताओंं का तरजीह दी जानी चाहिए मगर विडंबना है कि निगम चुनावों के लिये प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में भाजपा के किसी अल्पसंख्यक नेता का शामिल नहीं किया गया है। विरोध कर रहे नेताओं ने अल्पसंख्यक नेताओं के नाम गिनाते हुए कहा कि बीकानेर में भाजपा की जड़ से जुड़े वरिष्ठ नेता मुमताज अली भाटी के अलावा बीकानेर की सियासी में सक्रियता रखने वाले सलीम भाटी सहित भाजपा के कई अल्पसंख्यक नेता ऐसे है जिन्हे इस बार निगम चुनावों के लिये प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में पार्टी स्तर पर कोई तवज्जों नहीं दी जा रही है।


टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा कांग्रेस के कई नामी चेहरों ने मंगलवार को निर्दलीय प्रत्याशी बनकर पार्टी के खिलाफ बगावत का ऐलान कर दिया। हमारे संवाददाता के मुताबिक को ही दोनों पार्टियों से जुड़े 20 से ज्यादा नामी चेहरों ने ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा। इनमें कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के बगावती चेहरे शामिल है। इन नेके बागी होने के साथ ही यह भी साफ हो गया कि इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस के बोर्ड बनने की राह आसान नहीं होगी। हालांकि इन बागी नेताओं में कितने जीतेंगे। यह तो 25 नवंबर को साफ होगा, लेकिन इतना पक्का है कि इनके ताल ठोकने से भाजपा कांग्रेस प्रत्याशियों को अब जीत हासिल करने के लिए खूब पसीना बहाना होगा। जानकारों की मानें तो
एक के बाद एक निकले जुलुस
नगर निगम चुनावों के नामांकन करने के लिये शहर में एक के बाद एक जुलुस के कारण शड़कों पर जाम के हालात कायम हो गये। वहीं नामांकन दाखिल करने वालों के साथ समर्थकों और कार्यकर्ताओं की भीड़ के कारण मंगलवार को कचहरी परिसर में सुबह नो बजे से लेकर देर अपरान्ह तक चहुओर भीड़ ही भीड़ नजर आई,भारी भीड़ के इस मेलें में अपने प्रत्याशियों के साथ आये समर्थकों को काबू कर कचहरी परिसर में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस कर्मियों को खासी मशक्क्त करनी पड़ी। जानकारी में रहे कि भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए पुलिस ने कचहरी परिसर में पहले से पुख्ता बंदोबश्त कर लिये थे। उन्होने मंगलवार को अपना गठबंधन कायम कर सांझा उम्मीदवारों को बागी के रूप में नामांकन दाखिल करवा दिये।


नगर निगम चुनावों के लिये टिकट हासिल करने के लिये अंत तक मशक्कत के बावजूद भी टिकट से वंचित रहे अनेक भाजपाईयों ने मंगलवार को निर्दलीय पर्चा भरने के बाद भाजपा के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उन्होने साफतौर पर आरोप लगाये कि भाजपा अब चापलूसों पूंजीपतियों की पार्टी बन गई है। टिकटें जारी होने में भाई-भतीजावाद चला है और इसके लिए भाजपा के तमाम स्थानीय नेता जिम्मेदार हैं। मूल सवाल यह है कि जब अपनों को ही टिकट दी जानी थी तो पार्टी ने आवेदन सर्वे कराने का नाटक क्यों किया।
