ब्रेन डैड घोषित किए गए मरीज के अंगों का दान कर किसी का बहुमुल्य जीवन बचा सकते हैं-डॉ. सत्यव्रत शर्मा

अनूप कुमार सैनी
रोहतक, 17 नवम्बर। हरियाणा के लोग बहुत बड़े दिलवाले हैं, जिस प्रकार रक्तदान में हरियाणा के लोग पूरे भारत में अग्रणीय भूमिका अदा कर रहे हैं, उसी प्रकार से आर्गन डोनेशन में भी अदा कर सकते हैं। बशर्तें उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जाए और संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं। यूएसए में रिकोर्ड एक व्यक्ति ने मृत्यु पश्वात अपने 76 ओर्गन डोनेशन किए।
यह कहना है यूके से आए डॉ. सत्यव्रत शर्मा का। वें शनिवार को डेंटल कालेज में आर्गन डोनेशन : मिथक और तथ्य पर आयोजित किए गए व्याख्यान में मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित हुए थे। मंच का संचालन डॉ. वरूण अरोड़ा ने किया।

उन्होंने बताया कि ब्रेन डैड घोषित किए गए मरीज का ह्रदय, लंग, लिवर, पेनक्रियास, किडनी, छोटी बॉउल, आंखें, चमड़ी, लिगामेंट, हाथ, यूटरेस इत्यादि अंगों का दान कर किसी का बहुमुल्य जीवन बचा सकते हैं। लोगों में कुछ भ्रम भी हैं कि मैं ज्यादा उम्र का हूं और मैं अंगदान नहीं कर सकता जबकि 82 उम्र तक अंगदान हो सकता है। अंगदान के बाद हमारा मृत शरीर विकृत हो जाएगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
डॉ. सत्यव्रत ने कहा कि हमारे अंदर किसी का जीवन बदलने की काबिलियत है तो हमें उसका अवश्य प्रयोग कर किसी को जीवन देना चाहिए।
डॉ. सत्यव्रत शर्मा ने कहा कि हमारे ग्रंथों में भी लिखा है कि हमें पुण्य कमाना चाहिए और पुण्य वही है, जो दुसरों के काम आए। जिस प्रकार हमें किसी प्यासे को पानी पिलाना चाहिए, उसी प्रकार किसी अंग की कमी से मरते हुए इंसान को अंगदान के माध्यम से उसका जीवन बचाने का प्रयास करना चाहिए।
कुलपति डॉ. ओ.पी.कालरा ने कहा कि ब्रेन डेड मरीज से करीब आठ लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें आज यहां सुने विचार अधिक से अधिक लोगों को फैलाने होंगे ताकि हरियाणा व आसपास के क्षेत्रों में अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढे। कुलपति ने बताया कि बहुत जल्द संस्थान में सोटो के तहत ओर्गन डोनेशन शुरू हो जाएगा, जिसके लिए ओटी भी लगभग तैयार हो चुका है।

कुलसचिव डॉ. एच.के. अग्रवाल ने व्याख्यान में आने के लिए सभी का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस व्याख्यान से लोगों में अंगदान के प्रति काफी जागरूकता आएगी। उन्होंने कहा कि वे आज के इस कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रवीण मल्होत्रा, डॉ. वरूण अरोडा, डॉ. आदर्श का धन्यवाद व्यक्त करते हैं।
निदेशक डॉ. रोहताश यादव ने कहा कि डॉ. सत्यव्रत ने पीजीआई से ही एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण की थी और वें दोबारा उनका संस्थान में आने पर स्वागत करते हैं। डॉ. धू्रव चौधरी ने कहा कि ओर्गन डोनेशन देश की जरूरत है, जिसके लिए हमें अधिक से अधिक जागरूकता फैलानी होगी।
इस अवसर पर निदेशक डॉ. रोहताश यादव, डॉ. ध्रुव चौधरी, डॉ. वीणा सिंह गहलोत, डॉ. वी.के. कत्याल, डॉ. प्रवीण मल्होत्रा, डॉ. तराना गुप्ता, डॉ. देवेंद्र, डॉ. आदर्श, प्रो. संतोष हुड्डा सहित सैंकड़ों चिकित्सक तथा छात्र उपस्थित थे।