एक बार फिर, पंडित जी ने बजाई अलग डफली !
श्रीगंगानगर। राजनैतिक कौशल तो पंडित जी के पास ही है। जब चाहे किसे नचा देते हैं। मौके पर ऐसी व्यूह रचना करते हैं कि चारों तरफ पंडित जी, पंडित जी होने लगती है। कभी धन बल का विरोध। कभी धन बल के साथ। एक बार फिर वे अपनी ढफली लेकर बैठ गए। उस डफली मेँ जो राग निकलेगा वो किसको लुभाएगा और किसे नहीं, ये तो आज दोपहर तक साफ हो जाएगा। पंडित जी के 5-7 बंदे जीत गए तो राग अलग होगा और अधिक जीते तो राग अलग। वैसे पंडित जी के एक दो खास व्यक्ति पंडित जी दूरी बनाए हुए हैं। पंडित जी अपनी किए बिना नहीं मानेंगे, ये मोटा भाई का खेमा भी जानता है। देखो क्या होता है! लेकिन बार बार रंग बदलने से पंडित जी की इमेज को धक्का लग रहा है। धक्का लगे तो लगे, 5 साल तो पंडित जी राज करेंगे ही

पार्षदों के ठेकेदार- चुनाव के लिए वोटिंग अभी सम्पन्न ही हुई थी कि जीत सकने लायक निर्दलीय उम्मीदवारों के यहां खास संदेश के साथ खास व्यक्ति पहुँचने लगे। ऐसा हर उस वार्ड मेँ हुआ जिसमें निर्दलीय की जीत पक्की मानी जा रही है। सुना है कि ऐसे लोग अलग अलग गुटों के लिए जिताऊ व्यक्तियों को इकट्ठा करने की जुगत मेँ थे। कोई तो खुद अपनी मर्जी से लगा था, ताकि खर्चे का जुगाड़ हो सके। कई बाकायदा अपने आकाओं के संदेश के साथ पहुंचे थे। क्या दिया जाएगा, यह संकेत भी दिया गया।
हार के बाद बाहर-कांग्रेस-बीजेपी के उम्मीदवारों को पार्टी और नेताओं ने अपनी मेजबानी मेँ ले लिया है। इसमें सभी जीत जाएंगे, ऐसा तो मुमकिन नहीं। किन्तु निश्चित रूप से ये भी तो नहीं कहा जा सकता कि फलाना