नई दिल्ली
अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का पुजारी कोई दलित हो सकता है। इसके लिए संत रामानंद की परंपरा का हवाला दिया जा रहा है, जिसमें संत कबीर और संत रविदास जैसे संत हुए थे। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद सरकार की ओर से ट्रस्ट का गठन कर दिया जाएगा। लेकिन इस ट्रस्ट को सरकारी व राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर पूरी तरह स्वायत्त बनाया जाएगा। यहां तक कि रामजन्मभूमि के लिए पिछले साढ़े तीन दशक से आंदोलन कर रहे विश्व हिन्दू परिषद का भी कोई पदाधिकारी ट्रस्ट में नहीं होगा।

रामजन्मभूमि मंदिर के प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन को लेकर सरकार के साथ विचार-विमर्श से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इसमें समाज का कोई भी उचित गुणवत्ता का व्यक्ति इसका पुजारी हो सकता है। संत रविदास खुद दलित थे, इसीलिए रामजन्मभूमि मंदिर में दलित पुजारी होने पर कोई पाबंदी नहीं हो सकती। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पुजारी का पद भी वंशानुगत नहीं होगा, बल्कि योग्यता के आधार पर ही नियुक्त किया जाएगा।

वैसे तो अभी तक ट्रस्ट की पूरी रूपरेखा सामने नहीं आई है। लेकिन माना जा रहा है कि रामजन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट 11 सदस्यीय हो सकता है। जिसमें सरकारी प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के जिलाधिकारी या फैजाबाद के कमिश्नर के साथ ही एक केंद्र के अधिकारी को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को सदस्य बनाने का निर्देश दे दिया है। सदस्यों को लेकर विचार-विमर्श का दौर अभी जारी है। जिसमें यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी ऐसे व्यक्ति को इसमें स्थान नहीं मिल जाए, तो मंदिर निर्माण के लिए अपना पूरा समय नहीं दे पाए। इसी तरह सरकार के सामने ट्रस्ट की स्वायत्तता पहली प्राथमिकता है, ताकि भविष्य में इसका बेजा इस्तेमाल नहीं हो सके।

..तो आम जनता से जुटाया जाएगा धन: अमित शाह के राम मंदिर के लिए सरकारी धन के उपयोग नहीं किये जाने के एलान के बाद साफ हो गया है कि इसके लिए आम जनता से धन जुटाया जाएगा। विहिप के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वैसे तो धन संग्रह की रूपरेखा ट्रस्ट खुद तय करेगा, लेकिन इसमें जनता की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।

न्यास को मिल सकता स्थान

अमित शाह साफ कर चुके हैं कि भाजपा का कोई नेता ट्रस्ट में नहीं होगा। विहिप ने भी साफ कर दिया कि उसका कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं होगा। लेकिन पिछले तीन दशक से रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की तैयारी में जुटे रामजन्मभूमि न्यास को इसमें स्थान मिल सकता है और संत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का सदस्य बनाया जा सकता है।

’>>सरकारी व राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर, पूरी तरह स्वायत्त होगा ट्रस्ट

’>>विश्व हिन्दू परिषद का भी कोई पदाधिकारी ट्रस्ट में नहीं होगा

राम जन्मभूमि न्यास ने मंदिर का अपना मॉडल प्रस्तावित किया है। हालांकि यह तय नहीं हुआ है कि मंदिर का मॉडल क्या होगा ’